चुनाव ‘बहिष्कार’ के बाद हरकत में ‘धामी ‘सरकार’ : मुख्यमंत्री ने तलब की बहिष्कार करने वाले गांवों की रिपोर्ट

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समस्याओं के त्वरित निदान के दिए निर्देश,निर्देश प्राप्ति के बाद एक्शन मोड में सभी जिला अधिकारी
रूद्रपुर। एक लंबे अरसे से बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे सूबे के अनेक इलाकों के ग्रामीणों द्वारा आम चुनाव का बहिष्कार किए जाने के बाद,अब जाकर कहीं धामी सरकार प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार हरकत में आई है ।बताना होगा कि सूबे के मुखिया ने विगत 19 अप्रैल को संपन्न हुए मतदान में हिस्सा न लेने वाले सभी गांव की रिपोर्ट तलब की है। ज्ञात हो कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बहिष्कार करने वाले गांवों संबंध में यह जानकारी खास तौर पर मांगी है कि किस गांव में किसी समस्या के कारण ग्रामीणों को आम चुनाव के मतदान से किनारा करने को मजबूर होना पड़ा। लिहाजा अब इस बात की संभावनाएं अच्छी खासी बढ़ गई है कि संबंधित ग्रामीणों को शायद अब उन समस्याओं से निजात मिल जाए, जिसके चलते उन्हें मतदान का बहिष्कार करने को विवश होना पड़ा। गौर तलब है कि 19 अप्रैल को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीट पर एक साथ मतदान कराया गया था जिसमें मतदान का प्रतिशत केवल 57.24 प्रतिशत तक ही पहुंच सका, जो पिछले चुनाव की तुलना में काफी कम है।मतदान प्रतिशत में आई इस कमी  की एक मुख्य वजह वोटिंग के बहिष्कार के ऐलान को भी माना जा रहा है । सो ,अब राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड लोकसभा चुनाव में मतदान बहिष्कार करने वाले गांवों की रिपोर्ट मांगी है और प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को इन सभी गाँवों की नाराजगी की वजह तलाशने और उसपर त्वरित कार्रवाही करने के निर्देश दिए हैं। बताते चले की उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के कई गांवों में मूलभूत सुविधाओं और विकास कार्यों की मांग पूरी न होने के कारण उपरोक्त गाँवों के मतदाताओं द्वारा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार किया गया था। राज्य निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि इस बार चुनाव में प्रदेश के 35 से अधिक गांवों के लोगों ने मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया है। इन गांवों में अधिकांश लोग सड़कों के अभाव के कारण नाराज है। कई क्षेत्रों में कई साल पहले स्वीकृत सड़कों का निर्माण अब तक नहीं हुआ है। लोगों के धरने, ज्ञापन और प्रदर्शन करने के बावजूद कार्रवाई न होने पर इस बार लोगों मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। हालांकि चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रशासन के प्रतिनिधियों ने उक्त गांव के मतदाताओं को समझने बुझाने की कोशिश की थी, लेकिन मतदाताओं ने गहरी नाराजगी कारण मतदान केंद्र का रुख नहीं किया। मतदान का बहिष्कार करने वाले प्रमुख इलाकों की मुख्य समस्याओं पर दृष्टिपात करें ,तो मसूरी में क्यारा धनोल्टी मोटर मार्ग का शिलान्यास तो 2019 में हो चुकने के बावजूद इस मार्ग का निर्माण कार्य अब तक आरंभ नहीं हो सका ।जिसके चलते संबंधित क्षेत्र के मतदाताओं में गहरी नाराजगी थी। इसी तरह पिथौरागढ़ के धारचूला में साइपोलू बूथ पर भी ग्रामीणों ने सड़क न बनने से पूरी तरह से चुनाव बहिष्कार किया। विशेष उल्लेखनीय तथ्य तो यह है कि इस इलाके के मतदाताओं ने पिछले  विधानसभा चुनाव के दौरान भी मतदान का बहिष्कार किया था, पर दायित्व अधिकारियों की आंखें नहीं खुली। इसी प्रकार चकराता में खारसी मोटरमार्ग पर दावापुल से बैरावा तक 16 किलोमीटर मोटर मार्ग की मंजूरी के बाद भी अब तक निर्माण न होने के कारण , इस इलाके के 12 गांव के लोगों ने चुनाव बहिष्कार किया था वही यमकेश्वर में लोगों ने गंगाभोगपुर तल्ला-मल्ला को राजाजी टाइगर रिजर्व के दायरे से हटाने की मांग पूरी न होने के चलते मतदान के बहिष्कार की घोषणा की थी। इसके अलावा रुद्रप्रयाग के इसाला गांव के लोगों ने भी 8 साल से स्वीकृत सड़क के गांव तक न पहुंचने की वजह से चुनाव बहिष्कार किया। इसके अलावा उधम सिंह नगर जिले,कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र तथा पिथौरागढ़ और पौड़ी के कई गांव अपनी बुनियादी जरूरत की अनदेखी के चलते चुनाव के बहिष्कार में सम्मिलित हुए । प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं के तकरीबन 35 गांव के मतदाताओं के चुनाव में भाग न लेने को राज्य सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है और  सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रमुख सचिव से तमाम गांवों की नाराजगी  की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और  साथ ही उन्हें तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं । मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बाद अब शासन ने सभी 13 जिलों के जिलाधिकारी से उन सभी गांवों के बारे में पूरी जानकारी मांगी हैं ,जो चुनाव बहिष्कार में शामिल थे। सीएम के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु के अनुसार चुनाव बहिष्कार की घटना बेहद गंभीर है, आगे से ऐसा न हो इसके लिए हमे जल्द से जल्द कार्रवाही करने के निर्देश मिले हैं । जिन भी गाँवों तक सड़क नहीं पहुंची है या जिन गांवों में सड़क स्वीकृत हो गई है फिर भी काम शुरू नहीं हो पाया है वहां भी हमने तत्काल प्रभाव से काम शुरू कर दिया है और लंबित कार्य के मामलों के निपटाने के बारे में बातचीत की है। उम्मीद है कि जल्द ही लोगों की समस्याओं का समाधान धरातल स्तर पर आरंभ हो जाएगा ।

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