कम मतदान को लेकर मचा घमासानः भाजपा ने किया उत्तराखंड की पांचों सीटें जीतने का दावा, कम मतदान के बताये तीन कारण

0

सियासी दलबदल भी माना जा रहा कम मतदान का बड़ा कारण 
देहरादून(उद ब्यूरो)। देवभूमि में उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर पिछले चुनावों से कम मतदान के बावजूद प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। सीएम पुष्कर सिंह के बाद अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पांचों सीट जीतने का दावा किया है। वहीं राजनीतिक विष्लेशको ने उत्तराखंड में सियासी दलबदल और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दों और विकास कार्यों की अनदेखी के साथ बढ़ती महंगाई को लेकर भी कम मतदान का बड़ा कारण माना है। जबकि कुछ क्षेत्रों में सियासी दलों के ऐजेंटों द्वारा बूथों के मतदाताओं की पर्चियों को बांटने में गड़बड़ी करने और कई बुजुर्ग मतदाताओं के वोटिंग से वंचित होने की भी शिकायतें आ रही है। वहीं उत्तराखंड में कम मतदान के लिए जहां शादियों को भी बड़ी बजह बताया जा रहा है मगर कई क्षेत्रों के बूथों में पहले मतदान फिर कन्यादान के साथ खुद दूल्हा और दूल्हन मतदान करने पहुंचे थे। बुजुर्गों , दिन्यांगों के लिए चुनाव आयोग ने बेहतर इंतजाम किये थे। मतदान के अंतिम आकड़ों में घर से मतदान के लिए की गई बैलेट पेपर की व्यवस्था का लाभ मिल सकता है। कम मतदान के बीच इस बार लोकससभा चुनाव की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कम मतदान के बावजूद अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही है। भाजपा ने प्रदेश में मतदान कम होने के तीन प्रमुख कारण बताए। उनका कहना है कि इस बार मतदाताओं के दो-दो जगह नाम दर्ज थे, इसलिए जिन लोगों के नाम देहरादून या अन्य स्थानों पर दर्ज थे, वे वोट डालने गांव में नहीं आए। उनके खुद के गांव में 332 मतदाता हैं, लेकिन गांव में 134 लोग ही रहे। कम मतदान की दूसरी वजह उन्होंने मतदान वाले दिन प्रदेश में भर में सैकड़ों की संख्या में शादियों को बताया। उन्होंने तीसरा कारण चुनाव में उतरे अन्य दलों के प्रत्याशियों के समर्थक मतदाताओं का मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच पाना बताया। कहा, कई दलों ने अपने प्रत्याशी तो मैदान में उतार दिए, लेकिन उनके समर्थन मतदाता घरों से बाहर नहीं निकले। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी उदासीन रहे। इसका नतीजा यह रहा कि मतदान प्रतिशत बढ़ने के बजाय कम हो गया। प्रदेश में हुए कम मतदान की अब पार्टी स्तर पर समीक्षा होगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक, पार्टी की ओर से मतदान बढ़ाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी क्यों नहीं हुई, इसकी तह में जाया जाएगा। 23 हारी हुई विधानसभा क्षेत्रों में मतदान कुछ बढ़ा है। इसके लिए पार्टी ने विशेष कार्ययोजना बनाई थी। मतदान से ठीक एक दिन पहले भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी दुष्यंत गौतम ने यह दावा किया था कि पार्टी सभी पांचों सीटों में 25-30 लाख के अंतर से जीतेगी। भाजपा ने हर सीट पर पांच लाख के अंतर से जीत दर्ज करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसके लिए पार्टी पिछले कई महीनों से विशेष अभियान चला रही थी ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग मतदान केंद्रों तक पहुंचे। इसके लिए पार्टी ने नवमतदाता सम्मेलन, घर-घर संपर्क अभियान और मैं भी हूं पन्ना प्रमुख अभियान चलाया। पार्टी 2022 के विस चुनाव से ही हर बूथ हो मजबूत का नारा बुलंद करती आई है। इसके लिए पार्टी पन्ना प्रमुख की योजना बनाई जिसमें सीएम से लेकर आम कार्यकर्ता को अपने-अपने बूथ पर 30-30 मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन कम मतदान प्रतिशत के बाद अब यह सवाल उठ रहा कि वे पन्ना प्रमुख कहां गए? गौरतलब है कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा लगातार तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरे दमखम के साथ चुनावी रण में उतरकार विपक्षी दल कांग्रेस के गठबंधन दलों के खिलाफ हमलावर रही। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने देश में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई के साथ चुनावी चंदे को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ खुलकर लोगों से अपने मुद्दों पर वोट करने की अपील कर खूब प्रचार किया। अब देखना दिलचस्प होगा कि 2024 के चुनावी मुकाबले में पीएम नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए उत्तराखंड से कितने कमल भाजपा दिल्ली भेज पाती है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.