आपात बैठक को अदालत ने किया खारिज

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हल्द्वानी। खालसा नेशनल गर्ल्स एवं श्री गुरुतेग बहादुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के परिसर में विगत 28 फरवरी 2015 को पूर्व अध्यक्ष विरेंद्र सिंह चड्ढा द्वारा अपने सहयोगियों के साथ बुलाई गई आपात बैठक को अदालत ने खारिज कर दिया। उन्होंने बैठक में खालसा और श्री गुरुतेग बहादुर स्कूल की प्रबंध समिति को समाप्त कर स्वयंभू अध्यक्ष घोषित करने के निर्णय को अदालत ने खारिज कर प्रबंध समिति को तत्काल प्रभाव से बहाल कर दिया। सिख समुदाय के तथा दोनों विद्यालयों के प्रबंध समिति के अध्यक्ष परमजीत सिंह कोहली संटी तथा प्रबंधक गुरविंदर सिंह भसीन ने बीते दिवस पत्रकार वार्ता का आयेाजन कर बताया कि अदालत के आदेश के साथ आज विद्यालय में प्रशासक व सिटी मजिस्ट्रेट पंकज उपाध्याय से वह सभी लोग मिलेंगे और उन्हें अदालत के निर्णय की कापी देंगे। उन्होंने बताया कि सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में उनका वाद चला। जिसकी पैरवी अधिवक्ता संघ की सिंह अजमानी ने की। जिसमें अदालत ने 28 दिसंबर 2015 की मीटिंग को अवैध करार दिया है। अदालत के निर्णय के अनुसार बैठक अवैध व अनधिकृत थी। प्रतिवादी विरेंद्र सिंह चड्ढा ने बिना विधिक प्रक्रिया व अधिकार के जबरदस्ती स्कूल के अध्यक्ष पद पर आसीन होने का प्रयास किया। अदालत ने विरेंद्र सिंह चड्ढा को आदेशित किया है कि वह स्कूल के नए अध्यक्ष का विधिवत चुनाव होने पर वर्तमान अध्यक्ष व प्रबंध समिति के स्कूल प्रबंधन के कार्य में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न करें। प्रबंधक गुरविंदर सिंह भसीन को पूरा अधिकार रहेगा। पत्रकार वार्ता में परमजीत सिंह कोहली और गुरविंदर िंसह भसीन ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल और खालसा नेशनल बालिका इंटर कालेज का संचालन विगत 50 सालों से सिख समाज द्वारा निर्वाचित एक प्रबंधक द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि 28 फरवरी 2015 को वीरेंद्र सिंह चड्ढा ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर स्कूल परिसर में सभा बुलाई जिसमें 1400 सदस्यों के स्थान पर मात्र 125 सदस्यों की उपस्थिति में अपने आप को संस्था का अध्यक्ष घोषित कर दिया था। अन्य नाम आने पर उन्होंने माइक छीना झपटी कर अराजकता का माहौल् पैदा किया। इसके खिलाफ प्रबंधक गुरविंदर सिंह भसीन ने सिविल जज सीनियर डिवीजन में एक वाद दायर किया था। जिसकी पैरवी अधिवक्ता सनप्रीत सिंघ अजमानी ने की। न्यायालय ने इस मामले में 10 जुलाई को फैसला सुनाते हुए 28 फरवरी 2015 की मीटिंग को अवैध करार दिया है। प्रेस वार्ता में नरेंद्र जीत सिंह कोहली, अमर जीत सिंह सेठी, सतवंत सिंह, जगजीत सिंह, गुरुचरण सिंह प्रिंस, जसपाल सिंह कोहली आदि मौजूद रहे।

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