“वासुकी इंडिकस” अब तक खोजा गया लगभग 4.7 करोड़ साल पुराने और दुनिया के सबसे बड़ा नाग है !

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आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने साल 2005 के दौरान उत्तराखंड रुड़की के वैज्ञानिकों ने गुजरात के कच्छ से 27 जीवाश्म खोजे थे
रूड़की । उत्तराखंड आईआईटी रूड़की के वैज्ञनिकों ने दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े सांप बेहद पुराने जीवाश्म खोज निकाले हैं। इसे वासुकी नाम दिया गया है। वासुकी नाग को भगवान शंकर का प्रिय सेवक होने का दर्जा प्राप्त है। दुनिया इन्हें शेषनाग के भाई के रुप में भी जानती है। जानें क्यों इसे वासुकी नाम दिया गया है।साल 2005 के दौरान उत्तराखंड रुड़की के वैज्ञानिकों ने गुजरात के कच्छ से 27 जीवाश्म खोजे थे। लेकिन शुरूआत में इन जीवाश्मों को किसी विशालकाय मगरमच्छ का माना जा रहा था। 19 साल बाद इसको लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। खुलासे के बाद सामने आया है की ये जीवाश्म एक बड़े सांप का है। जिसकी लंबाई 50 फीट बताई जा रही है। जो अब तक रिकॉर्ड हुए टाइटनोबोआ Titanoboa सांप से लगभग 2 मीटर ज्यादा है। बता दें Titanoboa सांप अब तक खोजा गया सबसे बड़ा सांप है, जो धरती पर लगभाग 6 करोड़ साल पहले रहता था। अब जो जीवाश्म उत्तराखंड के वैज्ञानिकों को मिला है वो इससे काफी अलग है। इसे एक नई प्रजाति का माना जा रहा है। जिसे वैज्ञानिकों ने वासुकी इंडिकस (Vasuki Indicus) का नाम दिया है।
वैज्ञानिकों की मानें तो वासुकी इंडिकस (Vasuki Indicus) अपने दशक के विशाल सांपों में से एक था। आप इसे कुछ-कुछ अजगर की तरह समझ सकते हैं। लेकिन ये जहरीला नहीं होता है। जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में छपी एक स्टडी के मुताबिक आईआईटी रूड़की के पैलेंटियोलॉजिस्ट देबजीत दत्ता ने कहा कि इसके आकार से हम अनुमान लगा पाए हैं की ये वासुकी नाग ही है। उन्होंने बताया कि धीमी गति में चलने वाला खतरनाक शिकारी है। पैलेंटियोलॉजिस्ट Palaeontologist के मुताबिक ये वासुकी नाग एनाकोंडा और अजगर की तरह अपने शिकार को दबोचकर मार डालता है। लेकिन वैज्ञानिक अभी ये पता नहीं कर पाए हैं कि ये वासुकी असल में खाता क्या था ? लेकिन इसका आकार और आस-पास मिले जीवाश्म देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये उस समय कछुओं, मगरमच्छों और व्हेल मछलियों को खाता होगा। आप ये सोच रहे होंगे की समय के साथ ऐसा क्या हुआ कि ये डार्विन की सर्वाइवल ऑफ दा फिटेस्ट थियोरी के पार्ट नहीं बन पाए और विलुप्त हो गए। तो आपको बता दें की 4.7 करोड़ साल पहले ये वासुकी नाग धरती पर राज किया करते थे। लेकिन धीरे-धीरे जैसे ग्लोबल लेवल पर टेंप्रेचर बढ़ने लगा तो इन वासुकी नागों की आबादी खत्म होने लगी। आपको बता दें कि ये जीवाश्म लगभग 4.7 करोड़ साल पूर्व इओसीन युग के दौरान के हैं। इस शोध से जुड़े लेखकों का मानना है कि ये जीवाश्म एक पूर्ण विकसित वयस्क सांप का है। सांप की रीढ़ की हड्डियों की चौड़ाई का उपयोग करके इसकी लंबाई का पता लगाया गया है। वासुकी इंडिकस की लंबाई 36-50 फीट के बीच होने का अनुमान है। हालांकि टीम का कहना है कि इसमें गलती की संभावना भी है। आपको ये जानकर हैरानी होगी की लोग इसे हिंदू धर्म के जिस वासुकी नाग से जोड़ कर देख रहे हैं उसका और इस नाग का कोई ऑथेंटिक रिलेशन नहीं है। हांलाकि इस सांप के नाम को हिंदु माइथोलॉजी में भगवान शिव के पसंदीदा सांप वासुकी के नाम जरूर लिया गया है। इसके पीछे का कारण ये है कि वैज्ञानिक इससे ये दर्शाना चाहते हैं की ये भगवान शिव के वासुकी नाग की तरह ही शक्तिशाली और विशाल हुआ करता था।

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