कांग्रेस में भाजपा की सेंधमारी से 2024 का मुकाबला हुआ रोचकः पांचों सीटों पर मंत्रियों और विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर

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देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की पांचों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के पांचों प्रत्याशियों के साथ सरकार के मंत्रियों और पार्टी विधायकों की सियासी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। चुनाव से पूर्व भाजपा में शामिल हुए कैंसड़ों नेताओं के भाजपा में आने के बाद पूर्व विधायकों ने पार्टी प्रत्याशियों को कितना फायदा दिलाया यह भी देखना दिलचस्प माना जा रहा है। हालांकि भाजपा इस बार भी पांचों सीटों पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है और उसने हर सीट पर 75 प्रतिशत वोट का लक्ष्य हासिल किया है, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव की तुलना में पार्टी का यह लक्ष्य काफी बड़ा है। वर्तमान में पार्टी के 47 विधायक हैं। इनमें सात धामी सरकार में मंत्री हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने इन विधायकों की चुनाव सक्रियता और प्रदर्शन की परख करने के लिए पर्यवेक्षक भी लगाया है। परीक्षा सातों मंत्रियों की भी है। अकेले गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से सतपाल महाराज, डॉ. धन सिंह रावत और सुबोध उनियाल पर पार्टी प्रत्याशी को अपने चुनाव क्षेत्र और उसके बाहर बढ़त दिलाने का दारोमदार है। हरिद्वार सीट पर प्रेमचंद अग्रवाल और टिहरी सीट पर गणेश जोशी, अल्मोड़ा सीट पर रेखा आर्य और नैनीताल सीट पर सौरभ बहुगुणा के दमखम की भी परीक्षा होगी। टिहरी संसदीय सीट की 14 में से 11 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के साथ ही इन 11 विधायकों का भी इम्तिहान है। भाजपा ने अपने सभी विधायकों को विधानसभा चुनाव से अधिक वोट पार्टी प्रत्याशी को दिलाने का लक्ष्य दिया है। पुरोला में पूर्व विधायक मालचंद, गंगोत्री में विजय पाल सिंह सजवाण और टिहरी दिनेश धनै के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके दमखम को भी परखा जाएगा। तीनों से पार्टी को 60 से 80 फीसदी तक मत हासिल होने की उम्मीद है।गढ़वाल संसदीय सीट पर भाजपा के 13 विधायक हैं। बदरीनाथ सीट कांग्रेस के पास थी। विधायक राजेंद्र भंडारी के इस्तीफे के बाद बदरीनाथ सीट खाली हो गई है। भंडारी अब भाजपा में हैं। चुनाव में बनी यह परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में तो है, लेकिन कहीं न कहीं हर विधायक पर अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में 2022 के चुनाव से बेहतर प्रदर्शन का दबाव भी है। पार्टी ने उन्हें चुनाव क्षेत्र में बढ़त दिलाने का लक्ष्य दिया है। संसदीय सीट में चौबट्टðाखाल सीट पर कांग्रेस के टिकट पर लड़े केसर सिंह नेगी, श्रीनगर से यूकेडी से लड़े मोहन काला, पौड़ी से नवल किशोर, यमकेश्वर से शैलेंद्र सिंह रावत, केदारनाथ में कुलदीप सिंह रावत भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। उनके आने से पार्टी के वोट प्रतिशत में कितनी बढ़ोतरी हुई, यह भी देखा जाएगा। लैंसडौन में कांग्रेस से चुनाव लड़ी अनुकृति गुसाईं भी पार्टी छोड़ चुकी हैं। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में 14 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से छह सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। इन सीटों में धर्मपुर सीट पर निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल अब भाजपा में हैं। इसी तरह ऋषिकेश में चुनाव लड़े कनक धनै भी भाजपा में हैं। इस सीट पर पार्टी के कई पूर्व विधायकों का भी इम्तिहान होगा। 2022 के विधानसभा चुनाव भाजपा को सबसे अधिक नुकसान हरिद्वार जिले में ही हुआ था। चुनाव में घटकर तीन सीटें रह गईं। 2017 में भाजपा के पास 11 में आठ सीटें थीं। इस लिहाज से हरिद्वार लोस में भाजपा को जिताने का दारोमदार सिर्फ विधायकों का ही नहीं, पूर्व विधायकों का भी है। हरिद्वार संसदीय सीट की 14 विस सीटों में से भाजपा के पास छह सीटें हैं। 2022 के लोस चुनाव में भाजपा को इस चुनाव क्षेत्र में खास कर हरिद्वार जिले में नुकसान हुआ था। अल्मोड़ा पिथौरागढ़ संसदीय सीट पर भी पार्टी प्रत्याशी के साथ पार्टी के नौ विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। इस संसदीय सीट में चंपावत सीट से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सदस्य हैं। सभी विधायकों पर अपने-अपने चुनाव क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी को बढ़त दिलाने का दबाव है। नैनीताल-यूएस नगर में भी भाजपा के नौ विधायकों का इम्तिहान है। इस सीट पर भी विधायकों को 2022 की तुलना में भाजपा को अधिक वोट दिलाने का दबाव रहेगा। पार्टी ने हर सीट ए बी और सी श्रेणी में रखा है। इसी कसौटी पर विधायकों का प्रदर्शन आंका जाएगा। राज्य में 55 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इन सभी के शपथ पत्रों का विश्लेषण करने के बाद रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक, 55 में से एक प्रत्याशी केवल साक्षर, दो प्रत्याशी पांचवीं पास, चार प्रत्याशी आठवीं पास, तीन प्रत्याशी 10वीं पास, आठ प्रत्याशी 12वीं पास हैं। नौ प्रत्याशी ऐसे हैं जो ग्रेजुएट हैं। चार प्रत्याशी ग्रेजुएट प्रोफेशनल हैं। 19 प्रत्याशी पोस्ट ग्रेजुएट हैं। दो प्रत्याशी डॉक्टरेट और तीन प्रत्याशी डिप्लोमा होल्डर हैं।
 


            

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