जातीय जनगणना की काट में जुटी मोदी सरकार

0

नई दिल्ली। जातीय जनगणना के खिलाफ केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। बिहार में जातीय जनगणना के आकड़े सामने आने के बाद विपक्ष इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी के मद्देनजर व्यापक रणनीति बना रहा है तो वहीं केंद्र की मोदी सरकार इसकी काट में जुट गई है। विपक्ष को लगता है कि जातिवार जनगणना में ओबीसी का आंकड़ा उसके लिए उम्मीद की किरण हो सकता है। बिहार में पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को मिलाकर OBC की कुल आबादी 63 फीसदी पाई गई है। इसी तरह यूपी में भी 55 फीसदीए मध्य प्रदेश में करीब 45 पर्सेंट और कर्नाटकए महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में ओबीसी की आबादी 60 फीसदी के करीब है। ऐसे में विपक्ष को लगता है कि जातिवार जनगणना के जरिए वह 60 फीसदी एकमुश्त आबादी को अपने पक्ष में गोलबंद कर सकेगा। विपक्ष की इस रणनीति की अपनी वजहें और उम्मीदें हैंए लेकिन भाजपा भी चुपचाप इसकी काट में लगी है। यह काट है. पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से 17 सितंबर को ही लॉन्च की गई विश्वकर्मा योजना। इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार 18 पेशेवर कामों जुटे में लोगों को टारगेट कर रही है। इसके तहत वे कामकाजी जातियां आती हैंए जो किसी एक पेशे से परंपरागत रूप से जुड़ी रही हैं। इनमें लुहारए बढ़ईए सुनारए कहारए नाईए नाविकए मल्लाहए मालीए धोबीए दर्जी जैसी जातियां शामिल हैं। बिहार की जनगणना के आंकड़ों को भी देखें तो इन जातियों को अत्यंत पिछड़ा वर्ग में डाला गया है। इनमें से ज्यादातर जातियों का प्रतिशत यूपीए बिहार समेत तमाम राज्यों में 1ए 2 या फिर तीन फीसदी के करीब ही है। लेकिन कुल मिलाकर इन करीब एक दर्जन जातियों का आंकड़ा 15 से 20 फीसदी के करीब हो जाता है। यह एक बड़ा आंकड़ा है। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत सरकार परंपरागत पेशों में जुड़े लोगों को 1 से 3 लाख रुपये तक का लोन दे रही है। इस स्कीम के लिए महज दो महीने में ही 14 लाख से ज्यादा आवेदन मिल चुके हैं। यही नहीं इन पेशों में काम करने वाले अकुशल श्रमिकों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इसके तहत 15 दिनों तक 500 रुपये के स्टाइपेंड के साथ प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस स्कीम के तहत महज 5 फीसदी सालाना ब्याज पर ही लोन दिया जाएगा। यह लोन किसान क्रेडिट कार्ड जैसा ही होगा। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि केंद्र की इस स्कीम से उसे एक बड़े जातीय समूह की गोलबंदी करने में मदद मिलेगी। पहले भी वह यूपी में उन ओबीसी जातियों को साधने में सफलता पा चुकी हैए जिनकी आबादी बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन लुहारए बढ़ई सुनारए कुम्हार कहार मल्लाह आदि को मिलाकर एक बड़ी संख्या बनती है। इस तरह भाजपा एक बार फिर से पीएम विश्वकर्मा योजना के जरिए इन्हें लुभाना चाहती है। इसके अलावा 2024 के चुनवा से पहले रोहिणी कमिशन का दांव भी चला जा सकता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.