शोभा यात्रा में बना नेताओं के शक्ति प्रदर्शन,लोग नाराज !

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रूद्रपुर । गत दिवस श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर नगर में निकाली गई शोभा यात्रा में जहां हजारों श्रद्धालु श्री कृष्ण की भक्ति में सराबोर होकर चल रहे थे तो वहीं कुछ लोगों ने शोभा यात्रा को अप्रत्यक्ष रूप से शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा बनाया हुआ था। कल सायं निकाली गई शोभा यात्रा में आगे-आगे जहां वर्तमान विधायक शिव अरोरा अपने समर्थकों व आयोजकों के साथ शोभा यात्रा में शामिल हुये थे, तो वहीं पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल भी अपने साथियों के साथ उनके पीछे कुछ दूरी बनाते हुये शोभा यात्रा में चल रहे थें। दोनों ही नेताओं का अपने समर्थकों के साथ शोभा यात्रा में चलना शक्ति प्रदर्शन जैसा प्रतीत हो रहा था। जिसको लेकर लोगों के बीच दबाकर चर्चा होती रही। दोनों नेताओं की राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता शोभा यात्रा में भी नजर आ रही थी। लोगों को ऐसा लग रहा था कि मानों दोनों नेता शोभा यात्रा में भगवान श्री कृष्ण के जयघोषों के साथ खुद को बीस साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं द्वारा किसी भी स्थान पर शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का अपने समर्थकों के साथ पुष्प वर्षा के साथ न तो कहीं स्वागत किया गया और न ही कहीं स्टॉल लगाकर प्रसाद ही वितरण कराया गया। कोरोना महामारी के चलते वर्ष 2020 में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर शोभा यात्रा नही निकाली जा सकी थी और पिछले वर्ष भी कोरोना के भय से कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर शोभा यात्रा को विस्तृत रूप नही दिया जा सका था। लेकिन इस बार आम जनता को उम्मीद थी कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर भव्य शोभा यात्रा निकाली जायेगी। लेकिन इस बार निकाली गई शोभा यात्रा विगत वषों की अपेक्षा काफी फीकी रही। गत वर्षों की शोभा यात्राओं से इस वर्ष झांकियों की संख्या में भी कमी दिखाई दी तो वहीं मार्ग में शोभा यात्रा का स्वागत करने व श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करने के स्टॉल भी कम दिखे। नगर की विभिन्न कालोनियों में स्थित मंदिरों से भी आने वाली झांकियां इस बार नदारद रहीं। वर्तमान में उक्त दोनों राजनैतिक धुरंधर जो स्वयं को पंजाबी समाज का वरिष्ठ मान रहे हैं, ने कोरोना काल के बाद निकली शोभा यात्रा को ऐतिहासिक बनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से विशेष योगदान देना चाहिए था लेकिन शोभा यात्रा में ऐसा कुछ भी देखने को नही मिला। शोभा यात्रा में विधायक शिव अरोरा और पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता को लेकर जहां आम जनता उपहास बनाती हुई नजर आई तो वही दोनों नेताओं की राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता से पंजाबी समाज में भी फूट डलती नजर आ रही है। ऐसे धार्मिक आयोजनों में हो रही राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता से हिन्दू समाज के लोग भी अन्दरखाने काफी नाराज दिखे। पंजाबी समाज के वरिष्ठ जनों के आपसी राजनैतिक व वैचारिक मतभेदों के कारण ही आज पंजाबी समाज संगठन के रूप में काफी पिछड़ता जा रहा है। जबकि समाज के अन्य वर्ग निरंतर प्रगति कर रहे हैैं। पंजाबी समाज के आयोजित होने वाले त्यौहार भी पिछले काफी समय से आपसी राजनीति का शिकार हो रहे हैं। जिसके लिए समाज के ही कुछ वरिष्ठ लोगों को जिम्मेवार कहा जा सकता है। वरिष्ठ जनों को चाहिए कि ऐसे आयोजनों में इनके आपसी राजनैतिक व वैचारिक मतभेदों को समाप्त कराकर समाज के लिए एकजुट होकर कार्य कराये। ऐसे धार्मिक आयोजनों में सभी दलों और गुटों को एक साथ नजर आना ही समाज के हित में है। यदि धार्मिक आयोजनों में ऐसे ही शक्ति प्रदर्शन होता रहा तो इसका खमियाजा अवश्य ही हिन्दू समाज को भुगतना पड़ेगा।

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