हत्याकांड के बाद पुलिस अलर्ट,तीन असलहों के लाइसेंस निरस्त 

कातिल फौजी की बंदूक का लाईसेंस बरामद नहीं 

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हल्द्वानी, 8 जुलाई। असम रायफल के रिटायर्ड जवान द्वारा व्यापारी की हत्या के बाद प्रशासन व पुलिस अब अलर्ट होती हुई नजर आ रही है। लाइसेंसी हथियारों के दुरुपयोग के मामले में चार लोगों के लाइसेंस को एसएसपी ने निरस्त करने की संस्तुति डीएम से की है। जिसमें तीन लोगों के लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं जबकि एक मामला विचाराधीन है। एसएसपी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष जिला पुलिस ने चार लोगों के असलहों के लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट डीएम को भेजी है जिसमें तीन के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं जबकि एक विचाराधीन है। प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रम कार्यालय के पास रहने वाले वीरेंद्र सिंह अधिकारी पुत्र चंदन सिंह, कुंवरपुर गौलापार चोरगलिया निवासी तारा दत्त पलड़िया और पिथौरागढ़ जिले के जाड़ापानी गंगोलीहाट निवासी हर्षवर्धन सिंह पुत्र भूपेंद्र सिंह शामिल हैं। हर्षवर्धन पर अपने नाम का असलहा दूसरे को देने का आरोप था। तीनों लोगों पर असलहे के दुरुपयोग का मामला प्रकाश में आया है। भूमियाधार मुखानी निवासी ललित सिंह पुत्र कृपाल सिंह के असलहे के लाइसेंस को निरस्त करने के लिए पुलिस ने रिपेार्ट भेज दी है। जिला प्रशासन इस मामले में विधिक कार्रवाई कर रहा है। वर्ष 2017 में जिला पुलिस ने 13 लोगों के लाइसेंस को निश्रसत करने की रिपोर्ट डीएम कार्यालय को भेजी थी लेकिन एक ही लाइसेंस निरस्त किया गया था। अभी भी 12 लाइसेंस के मामले का निस्तारण नहीं हो सका है। इस वर्ष चार लाइसेंस निरस्त करने के लिए भेजे गए हैं जिनमें तीन निरस्त हो गए हैं। एसएसपी जन्मेजय खंडूरी का मानना है कि लाइसेंस लेने वाले लोग अपने स्टेट्स और लोगों पर दबाव बनाने के साथ ही अधिकारियों पर भी दबाव बना रहे हैं। ऐसे लाइसेंस मांगने वाले युवाओं के अभिभावकों को भी विचार करना चाहिए।

कातिल फौजी की बंदूक का लाईसेंस बरामद नहीं

हल्द्वानी, 8 जुलाई। कालाढूंगी चौराहे पर व्यापारी कुश बख्शी की खुलेआम हत्या करने वाले असम राइफल से रिटायर्ड जवान मोहन सिंह रावत की बंदूक का लाइसेंस पुलिस को प्राप्त नहीं हुआ है। जिसके बाद पुलिस ने मुकदमे में धारा 30 आर्म्स एक्ट एक धारा और बढ़ा दी है। कोतवाली पुलिस ने मोहन सिंह रावत के लाइसेंस की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक पत्र जिलाधिकारी को भी भेजा है। मुकदमे की विवेचना कर रहे कोतवाल केआर पांडे ने बताया कि गिरफ्रतार मोहन सिंह रावत से पूछताछ की गई तो उसका कहना था बंदूक लाइसेंसी है लेकिन उसके पास लाइसेंस के कोई कागजात नहीं हैं। कागजात नहीं दिखाने पर पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया है। मजिस्ट्रेटी जानकारी लेने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में पत्र भेजा गया है। उसके पास से बरामद बंदूक की बैलेस्टिक जांच के लिए देहरादून भेजा गया है। मौके से उठाए गए व्यवसायी के खून को भी जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जा रहा है।

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