ढाई साल के पुत्र ने दी शहीद पिता को मुखाग्नि

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खटीमा। क्रूर नियति कभी कभी ऐसा दिखा देती है कि कोई भी उसे चाहकर भी देखना नहीं चाहता लेकिन विधि की विडम्बना के आगे सभी मूकदर्शक हैं और न चाहकर भी उन्हें यह सब देखना पड़ता है। आज जब पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद जवान वीरेंद्र राणा का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा तो परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। आज उनके निवास स्थान से अन्तिम यात्र के लिए प्रतापपुर, चार नम्बर घाट पर पहुंचे तब शहीद जवान वीरेंद्र राणा को मुखाग्नि उनके ढाई वर्षीय पुत्र बयान सिंह ने दी। जैसे ही बयान सिंह ने अग्नि प्रज्जवलित कर अपने शहीद पिता को श्रद्धांजलि दी तो मानो श्मशान घाट स्थल ही नहीं वरन यह धरा भी गमगीन हो गयी। वहां मौजूद सभी लोगों की यह दृश्य देखकर आंखें नम हो गयीं कि जब ढाई वर्षीय बयान सिंह अपने शहीद पिता को मुखाग्नि दे रहा था। उस मासूम को यह पता ही नहीं होगा कि कुछ रोज पूर्व जब उसके पिता उसे गले से लगाकर जम्मू कश्मीर के लिए रवाना हुए थे तो आज उस शहीद पिता को मुखाग्नि भी देनी पड़ेगी। शहीद वीरेंद्र राणा की एक चार वर्षीय पुत्री रोही और तीन साल का पुत्र बयान सिंह है।

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