पंतनगर गोलीकांड के शहीदों को किया नमन

जलियांवाला बाग नरसंहार के शहीदों को भी जुलूस निकाल कर किया याद

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पंतनगर। परिसर में कर्मचारियों, श्रमिकों एवं परिसरवासियों ने 13 अप्रेल 1978 को मजदूर आंदोलन पर किए गए गोलीकांड में मारे गए मजदूर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही देश की आजादी की लड़ाई के दौरान 13 अप्रेल 1919 को पंजाब के जलियां वाला बाग में अंग्रेजों द्वारा किए गए नर संहार में मारे गए देशवासियों की शहादत की सौंवी बरसी पर भी शहीदों को याद किया गया। भारतीय मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता मंच और श्रमिक कल्याण समिति के संयुक्त तत्वावधान में कर्मचारियों, श्रमिकों व परिसरवासियों ने टा कॉलोनी से झा कॉलोनी तक जुलूस निकाला और शोषण के विरुद्ध नारेबाजी की। इस मौके पर अभिलाख, श्रवण कुमार, भूपेंद्र, सुभाष, मनोज, रमेश, राशिद, मीना, पुष्पा, पन्ना लाल, जेपी सिंह और भरत यादव आदि वक्ताओं ने कहा कि देश की आजादी के लिए जान देने वाले शहीदों के सपनों का भारत अभी तक नहीं बन सका है। गोर अंग्रेज चले गए तो काले अंग्रेजों का कब्जा हो गया है। पंतनगर में 13 अप्रेल को हुआ गोलीकांड जलियां वाला बाग के नर संहार की याद ताजा करता है। कहा कि शोषणमुक्त समाजवादी व्यवस्था लाने को पूर्ण आजादी के लिए संगठित होकर संघर्ष करना होगा ताकि पूंजीवादी लुटेरों से आम जनता के अधिकारों की रक्षा हो सके। उधर पंतनगर विवि के कर्मियों के ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में कर्मचारियों, श्रमिकों एवं परिसरवासियों ने पंतनगर गोलीकांड में हुए शहीद मजदूरों को शहीद चैक पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। आज शहीद चैक पर विधायक राजेश शुक्ला ने भी पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। विधायक शुक्ला ने मजदूरों के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि मजदूरों ने अपनी मांगों के लिए शहीद होना स्वीकार किया लेकिन झुके नहीं अपनी मांगों पर अडिग रहे। इस मौके पर इंटक जिलाध्यक्ष जनार्दन सिंह, एएम खान, डॉ- महेंद्र शर्मा, ओएन गुप्ता, संतोष कुमार, नारायण सिंह बिष्ट, बहादुर जंगी, कैलाश पांडे आदि ने ठेका प्रथा को कलंक बताते हुए श्रमिकोें के हितों की लड़ाई का आ“वान किया। जनार्दन सिंह ने कहा कि आज लगातार मजदूर विरोधी नीतियां बनाई जा रही हैं और उनके अधिकारों एवं सुविधाओं को सीमित किया जा रहा है। इन शोषक नीतियों का जमकर विरोध किया जाएगा। इस दौरान एचसी कुलश्रेष्ठ, ओपी सिंह, बहादुर सिंह जंगी, त्रिलोकी शंकर मिश्रा, आर के शर्मा, शशिकांत मिश्रा, जनार्दन सिंह, नारायण बिष्ट, विवेक सक्सेना, राजेश तिवारी, नरेंद्र कुमार, विनय कुमार प्रजापति, किशोर कुमार, राजेश सिंह, एम खान, छट्टु गिरी, कैलाश पांडे, अनिरुद्ध शर्मा, शैलेंद्र मिश्रा, राम दरस यादव, संतोष कुमार, गोरख सिंह, कमलेश कुमार, अंगद यादव, ओम प्रकाश शर्मा, धर्म सिंह यादव, अजीज, निसार, मोहन सिंह, संतोष कुमार, महेंद्र शर्मा, मोहन गुप्ता मौजूद थे।

पंतनगर गोलीकांड में 14 मजदूर हुए थे शहीद
पंतनगर। 13 अप्रेल 1978 का भयावह मंजर से लिपटे काले दिन को याद कर आज भी पंतनगरवासी सिहर जाते हैं। पंतनगर में कर्मियों एवं श्रमिकों द्वारा 1977 में यूनियन गठन की गतिविधियों में तेजी आई थी। 1978 में पंतनगर कर्मचारी संगठन के नाम से ट्रेड यूनियन वजूद में आई। 1978 के शुरूआती समय में नियमितीकरण व अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ। हड़ताल के दौरान 13 अप्रेल 1978 को कर्मचारी व श्रमिक पंतनगर में मांगों के लिए जुलूस निकाल रहे थे। इसी दौरान प्रशासन ने पुलिस एवं पीएसी बुला ली। अचानक जुलूस पर गोलियों की बौछार कर दी गई। इस गोलीकांड में 14 मजदूरों की जान चली गई और सैकड़ों घायल व लापता हो गए। भारी विरोध के बीच तत्कालीन कुलपति डॉ- धर्मपाल सिंह को पंतनगर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। तब से हर वर्ष शहीद मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

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