जंगलों में तेजी से फैल रही आग के बीच टिटहरी के अंडों को बचाया: हेलीकॉप्टर से बुझाई पौड़ी के जंगलों की आग

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बेकाबू वनाग्नि की रोकथाम के लिए जिलों में नोडल अधिकारी तैनात, सबसे अधिक 491 घटनाएं कुमाऊं और 365 घटनाएं गढ़वाल में हुईं, 74 मामले वन्य जीव क्षेत्र के हैं
देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में तेजी से फैल रही आग को बुझाने के लिए अब वायु सेना भी मैदान में उतरी है। वायुसेना का हेलीकॉप्टर सोमवार शाम को श्रीनगर के जीवीके हेलीपैड पर उतरा। यहां से हेलीकॉप्टर अलकनंदा नदी पर बनी जीवीके परियोजना की झील से बकेट में पानी अपलिफ्ट कर पौड़ी के डोभ श्रीकोट के जंगलों पर बरसाया। जिससे जंगल में आग पर काफी हद तक काबू पाने में सफलता मिली। वहीं मुनि की रेती, नरेंद्रनगर वन प्रभाग में आग बुझाने के अभियान के दौरान वन कर्मी टिटहरी के अंडों को आग से बचाने में कामयाब रहे। प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि अब जंगल में बार-बार आग लगाने वालों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जाएगा। साथ ही वन संपदा को हुए नुकसान की भरपाई भी आग लगाने वालों से की जाएगी। उन्होंने कहा कि पौड़ी और अल्मोड़ा में आग बुझाने के लिए एनडीआरएफ की टीम उतारी गई है। यहां पर चौकी इंचार्ज अजय कुमार के नेतृत्व में दमकल के वाहन से आग को बुझाया गया। कोतवाली निरीक्षक होशियार सिंह पंखोली ने बताया कि देवलगढ़ में कॉपरेटिव बैंक से करीब 200 मी. पास तक आग पहुंच गई थी। जिसको बुझाने में टीम को सफलता हाथ लगी। उन्होंने बताया कि जीवीके झील से वायु सेना के हेलीकॉप्टर आग प्रभावित क्षेत्रों में पानी लेकर पहुंच रहा है। जिससे आग पर नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं, आग बुझाने के लिए पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी के जवान भी तैनात किए जाएंगे।उत्तराखंड के जंगलों में बेकाबू हो रही आग पर काबू पाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ;एनडीआरएफद्ध को उतार दिया है। गढ़वाल मंडल के पौड़ी और कुमाऊं के अल्मोड़ा जिले में जंगल ज्यादा सुलग रहे हैं। सोमवार को प्रदेश में 20 जगह जंगल धधके। पौड़ी में सोमवार को आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर से पानी का छिड़काव किया गया। वहीं, जंगलों की आग की राज्य में अब तक 930 घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे 1,196 हेक्टेयर से अधिक जंगल जल चुका है। सबसे अधिक 491 घटनाएं कुमाऊं और 365 घटनाएं गढ़वाल में हुईं, जबकि 74 मामले वन्य जीव क्षेत्र के हैं। बेकाबू हो चुकी आग से अब तक पांच लोगों की मौत और चार लोग झुलस चुके हैं। सरकार का दावा है कि वनाग्नि से अभी तक किसी वन्यजीव के मारे जाने की सूचना नहीं है। इस बीच सरकार जानबूझकर और लापरवाही से आग लगाने के मामले में बेहद सख्त हो गई है। बार-बार आग लगाने वालों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई होगी। उत्तराखंड लोक व निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम के तहत वन संपदा के नुकसान की भरपाई आग लगाने वालों से होगी। वनाग्नि की स्थिति की समीक्षा बैठक के बाद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा, वनाग्नि पर काबू पाने के लिए एक्शन प्लान बना लिया गया है। जंगल में आग बुझाने के काम में अब पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी, युवक व महिला मंगल दल, सभी स्थानीय संगठनों और लोगों को लगाया जाएगा। पौड़ी और अल्मोड़ा में एनडीआरएफ तैनात हो गई है। बताया, सरकार को आईआईटी रुड़की से कृत्रिम बारिश ;क्लाउड सिडिंगद्ध का प्रस्ताव मिला है। इस प्रस्ताव को लेकर सभी पहलुओं पर विचार के बाद निर्णय लिया जाएगा। मौसम विभाग से चर्चा की जाएगी कि इससे मौसम पर कोई प्रतिकूल असर तो नहीं पड़ेगा। जंगल में जान बूझकर आग लगाने के मामले में पुलिस ने 13 मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें चार लोगों को गिरफ्रतार किया गया, जबकि छह अज्ञात हैं। वन विभाग ने 351 मुकदमे दर्ज किए हैं, जिसमें 290 अज्ञात, जबकि 61 नामजद मुकदमे हैं। मुख्य सचिव ने कहा, सरकार उन गांवों को पुरस्कृत करेगी, जहां ग्रामीणों ने अपने गांवों को जंगल की आग से बचाने का काम किया है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वन मुख्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाकर जिलों में तैनात कर दिया है, जो हर दिन वनाग्नि की घटनाओं का अनुश्रवण करेंगे और इन पर निगरानी रखेंगे। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के निर्देशों के क्रम में पौड़ी जिले में जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए एयर फोर्स की मदद ली गई। श्रीनगर के समीप कोटेश्वर हेलीपेड में एयर फोर्स का हेलीकॉप्टर उतारा गया। हेलीकॉप्टर ने आज दो राउंड में लगभग पांच हजार लीटर पानी का छिड़काव किया। डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि हेलीकॉप्टर से आग बुझाने का अभियान जारी रहेगा। इस दौरान डीएफओ सिविल सोयम प्रदीप कुमार, संयुत्तफ मजिस्ट्रेट अनामिका, एसडीएम श्रीनगर नूपुर वर्मा, नायब तहसीलदार कमल सिंह राठौर फायर ब्रिगेड तथा अन्य संबंधित विभागों के कार्मिक मौजूद रहे। मुनि की रेती, नरेंद्रनगर वन प्रभाग में आग बुझाने के अभियान के दौरान वन कर्मी टिटहरी के अंडों को आग से बचाने में कामयाब रहे। ऐसी जंगल की आग में, न जाने ऐसे कितने वन्यजीवों, पक्षियों के आवास और यहां तक कि मानव जीवन के संभावित नुकसान हो जाता है। हम सभी से इस कठिन समय में वन विभाग के साथ सहयोग करने का आग्रह करते हैं।

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