उत्तराखंड की पांचों सीटों पर कम मतदान प्रतिशत ने बढ़ाई प्रत्याशियों की बेचैनी, चुनाव आयोग की उम्मीदों को भी झटका

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देहरादून। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर नौ तक मतदान प्रतिशत के जो रुझान आए हैं, उसने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की पेशानी पर बल पड़ गए हैं। प्रचार और जागरूकता की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड का मतदाता बड़ी संख्या में अपने घरों से बाहर नहीं निकला। इस बार लोकसभा चुनाव में 55.89» प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 2019 के लोस चुनाव में पांचों सीटों पर 58.01 प्रतिशत वोट पड़े थे। देर रात्रि के आकड़े के अनुसार अल्मोड़ा लोकसभा – 46.94», पौड़ी गढ़वाल – 50.84», नैनीताल – 61.35», टिहरी गढ़वाल – 52.57», और सम्पूर्ण उत्तराखंड – 55.89» मतदान हुआ है। चुनाव आयोग ने उत्तराखंड में इस बार 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा था। 2019 में 61.88 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इस बार पांचों सीटों पर मतदान 60 प्रतिशत का लक्ष्य पूरा कर पाएगा, इसमें भी संदेह जताया जा रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग अंतिम आंकड़े आने के बाद मतदान प्रतिशत में अभी और वृ(ि की उम्मीद जता रहा है। इससे उम्मीद जताई जा रही थी कि अगले कुछ घंटों में मतदान और रफ्रतार पकड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, चटखधूप के चलते तमाम मतदान केंद्र खाली होने लगे। तीन बजे तक 45.62 प्रतिशत मतदान हुआ। शाम पांच बजे यह आंकड़ा 55.89 प्रतिशत तक ही पहुंच पाया। मतदान को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग के अधिकारी, स्थानीय प्रशासन, पुलिस व निर्वाचन से जुड़े अन्य अधिकारी दिन भर जुटे रहे। स्वयं मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा बीवी पुरुषोत्तम विभिन्न मतदान केंद्रों का भ्रमण कर व्यवस्थाओं को जांचते रहे। खुशुनमा मौसम के बीच सुबह सात बजे जब मतदान शुरू हुआ तो राजनीतिक दल, उम्मीदवार और चुनाव आयोग की टीम मतदेय स्थलों पर मतदाताओं की जुटती भीड़ को देख उत्साहित थे, लेकिन यह उत्साह 11 बजे के बाद काफूर हो गया। तीन और पांच बजे मतदान के जो आंकड़े आए, उसने उम्मीदवारों की भी बेचैनी बढ़ा दी है। वहीं उत्तराखंड में आज पांच लोकसभा सीटों पर मतदान को लेकर सुबह से ही बूथों पर मतदाताओं की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। लोकतंत्र के चुनावी महापर्व को लेकर एक तरफ जहां युवाओं में उत्साह नजर आया तो वहीं, बुजुर्ग मतदाता भी तमाम दिक्कतों के बावजूद पूरे उत्साह के साथ मतदान करने पहुंचे। इस बार राज्य में 85 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं और दिव्यांग मतदाताओं से घर-घर जाकर पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान कराया गया था। बावजूद इसके कई बुजुर्ग मतदाताओं ने घर से मतदान के लिए मना कर दिया। जिसके बाद कई दिव्यांग और बुजुर्ग मतदान केंद्रों पर अपनों के साथ पहुंचे। प्रदेश में करीब 40 लाख युवा मतदाता हैं। वहीं, इसमें से करीब डेढ़ लाख फर्स्ट टाइम वोटर हैं। देहरादून में भी कई युवा मतदान करने पहुंचे। गौरतलब है कि उत्तराखंड में शाम पांच बजे तक 53.56 फीसदी मतदान हुआ। कुछ मतदान केंद्रों पर वोट डालने के लिए मतदाताओं की लंबी कतार देखने को मिली तो कुछ बूथों पर मतदान के लिए लोगों का इंतजार होता रहा लेकिन एक भी व्यत्तिफ वोट देने के लिए नहीं पहुंचा। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय जोगदण्डे ने शाम पांच बजे तक हुए मतदान के बारे में जानकारी दी। शाम 5 बजे तक उत्तराखंड में 53.56 प्रतिशत मतदान हुआ। बता दें कि साल 2019 में शाम 5 बजे तक 58.01 प्रतिशत मददान हुआ था। अभी कई मतदान केंद्रों के फाइनल आंकड़े प्राप्त नहीं हुए है। सबसे ज्यादा मतदान नैनीताल लोकसभा सीट पर 59.36 प्रतिशत हुआ। जबकि सबसे कम मतदान प्रतिशत अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर 44.43 प्रतिशत हुआ। पांच बजे तक नैनीताल लोकसभा में 59.36 प्रतिशत मतदान हुआ। टिहरी लोकसभा में 51.01 प्रतिशत मतदान हुआ। गढ़वाल लोकसभा में 48.79 प्रतिशत मतदान हुआ। अल्मोड़ा लोकसभा में 44.43 प्रतिशत मतदान हुआ। हरिद्वार लोकसभा में 59.01 प्रतिशत मतदान हुआ। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय जोगदण्डे ने बताया कि अभी कई मतदान केंद्रों के फाइनल आंकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं। जिनके आंकड़े आने के बाद मत प्रतिशत बढ़ जाएगा। 55 से 56 प्रतिशत फाइनल आंकड़ा रहने की उम्मीद है। मत प्रतिशत गिरने पर विजय जोगदण्डे का कहना है कि शादी-विवाह और मौसम की वजह से हो सकता है मत प्रतिशत में कई आई है। पोस्टर बैलेट और वृद्ध जनों के पहले कराए गए मतदान के आंकड़े भी अभी जुड़ने बाकी हैं।

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