तो अबकी बार ‘मोदी की गारंटी’ से ही बनेगी ‘जीत की हैट्रिक’: एंटी इनकंबेंसी और इंडिया गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशियों को भी मिल सकती है संजीवनी

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देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड में पहले चरण के लिए पांचों सीटों पर मतदान सम्पन्न हो चुका है। वहीं चुनाव के नजीजे आगामी 4 जून को आयेंगे। भाजपा को पूरा भरोसा है कि मोदी मैजिक पूरे राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका में रहेगा जबकि कांग्रेस की उम्मीदें पिछले 10 वर्ष की एंटी इनकंबेंसी पर टिकी हुई हैं। भाजपा जहां खुलकर प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी के नाम पर जन समर्थन मांगा तो वहीं वहीं कांग्रेस अलग-अलग सीटों पर भाजपा को स्थानीय मुद्दों पर घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जबकि कांग्रेस भी गरीबों और बेरोजगारों के लिए न्याय गारंटियों केसाथ महंगाई बेरोजगारी के मुद्दे पर मुख्य होकर मेादी सरकार के खिलाफत करते हुए दिखी। हांलाकि भाजपा भी उत्तराखंड के चहुमुखी विकास के लिए डबल इंजन की सरकार बनाने का दावा कर रही है। देश के राष्ट्रीय मुद्दों को धार दने के साथ ही राम मंदिर निर्माण व राज्य में केंद्र की मदद से चल रही विकास परियोजनाओं का विषय भी चुनाव में प्रभावी रहेगा। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 83.37 लाख मतदाता कुल 55 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे। परंपरागत रूप से यहां महासमर के मुख्य मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस ही आमने-सामने रहती हैं और इस चुनाव में भी तस्वीर कुछ अलग नहीं। हरिद्वार और नैनीताल-ऊधम सिंह नगर सीट पर इंडिया गठबंधन दलों की ताकत कांग्रेस के लिये संजीवनी बन सकता है। जबकि बसपा की कोशिश मुकाबले को त्रिकोणीय शक्ल देने की है, लेकिन उसे मिलने वाले मत किसे फायदा या नुकसान पहुंचाएंगे, बसपा की भूमिका इस दृष्टिकोण से अवश्य निर्णायक हो सकती है। क्षेत्र विशेष के मुद्दों को लेकर अलग-अलग सीटों पर मैदान में उतरे निर्दलीय समेत कुछ प्रत्याशी भी ताल ठोक रहे हैं, लेकिन जीत-हार के अंतर को प्रभावित करने के अलावा इनकी भूमिका चुनाव में क्या रहती है, यह नतीजों के बाद ही साफ होगा। वर्ष 2014 व 2019 के बाद लगातार तीसरी बार पांचों सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा स्टार प्रचारकों के मामले में कांग्रेस से कहीं आगे रही। भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नîóा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धुंआधार प्रचार किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं प्रचार अभियान के मोर्चे पर डटे रहे। उधर कांग्रेस के लिए बड़े नेताओं में केवल केवल प्रियंका गांधी वाड्रा ही उत्तराखंड पहुंचीं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी यहां एक जनसभा की। संसदीय सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के मध्य ही नजर आ रहा है। राज परिवार की पारंपरिक इस सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में तीन बार की सांसद महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह को चुनौती दे रहे हैं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला चुनाव लड़ रहे है। गढ़वाल संसदीय सीट पर राज्यसभा सदस्य रहे और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से है। हरिद्वार संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने ताल ठोक रहे हैं कांग्रेस के वीरेंद्र रावत, जो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र हैं। बसपा ने उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक जमील अहमद को उतारा है। हरिद्वार जिले की खानपुर सीट से विधायक उमेश कुमार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमा रहे हैं। अल्मोड़ा सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर तय है। भाजपा से पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा के सामने कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा चुनाव मैदान में हैं। नैनीताल-ऊधम सिंह नगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में केंद्रीय मंत्री अजय भट्टð से लोहा ले रहे हैं कांग्रेस के प्रकाश जोशी, जो पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय सचिव हैं। बसपा प्रत्याशी के रूप में लईक अहमद मैदान में हैं।

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