नैनीताल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की ‘सुप्रीम विदायी’

ईमानदारी व सादगी की मिसाल बन चुके हैं जस्टिस जोसेफ,वादों की गहराईयों को नापने की अद्भुद क्षमता के कायल है वकील

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देहरादून/नैनीताल। देवभूमि उत्तराखंड में विधि का शासन स्थापित करने वाले चर्चित न्यायमूति केएम जोसेफ की पदोन्नति सर्वोच्च न्यायालय में हो गई है। जस्टिस जोसेफ की नयुक्ति सुप्रीम कोर्ट में होने की सूचना मिलते ही प्रदेश के आम लोगों में जहां मायूसी का माहौल है वहीं न्यायिक पेशे से जुड़े लोगों व वकीलों ने उनकी विदायी को सुप्रीम विदायी बताया है। गौर हो कि वर्ष 2014 में केरल हाई कोर्ट से नैनीताल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने जस्टिस जोसफ ने अनेक जनहित याचिकाओं में जनता के हित में आदेश पारित कर न केवल सरकार को आईना दिखाया बल्कि आम जन के हित में फैसले देकर निष्पक्ष व स्वतंत्र न्यायपालिका की मिसाल कायम की। जस्टिस जोसफ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 21 अप्रैल 2016 को केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड में तत्कालीन हरीश रावत की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने वाली अधिसूचना को खारिज करने का एतिहासिक फैसला दिया। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही करार दिया तो यह पूरे देश के लिए नजीर बन गया। 99 पैरा का यह फैसला देने से पहले सुनवाई के दौरान उनकी टिप्पणी ‘राष्ट्रपति राजा नहीं होता’ ने राष्ट्रीय स्तर पर सूर्खियां बटोरी। चेन्नई के एक तीर्थयात्री के पत्र, अल्मोड़ा में बंदर और लंगूर के आतंक से परेशान स्कूली बच्चों के पत्र,उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग का स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई कर महत्वपूर्ण आदेश पारित किए। पिछले माह पौड़ी जिले में हुई भीषण बस दुघर्टना के मामले में भी उन्होंने स्वतः संज्ञान लेकर सरकार को निर्देश दिये हैं। इसके अलावा गंगा स्वच्छता और बच्चों को बेहतर और सरकारी स्कूली शिक्षा के लिये भी वह अहम निर्देश दे चुके है। प्रदेश में कई ऐसे मुद्दे उन्हानें हल किये जो जनता के मन को छूने वाले हैं। कहीं न कही उनके इन्हीं निष्पक्ष और गंभीर निर्णयों की बदौलत मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिये की गई क्लोजियम की सिफारिश को आखिरकार स्वीकार करना ही पड़ा। जस्टिस जोसफ की ईमानदारी व सादगी की पूरे अधिवक्ता व न्यायिक जगत में मिसाल दी जाती है। माल रोड में वॉक करने के दौरान बिना सुरक्षा तामझाम के रहना, चर्च इत्यादि में आम व्यक्ति की तरह जाना तथा उत्तराखंड की संस्कृति का उत्तराखंड की तरह सम्मान करना उनकी खासियत रही है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश जोसफ हर मामले का गहराई से अध्ययन करते रहे हैं। उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं को उनका अनुसरण करना चाहिए।
दिल्ली में भी करूंगा उत्तराखंड के हितों की रक्षा: जोसेफ
नैनीताल। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद चीफ जस्टिस केएम जोसफ का समारोहपूर्वक अभिनंदन किया गया। अपने संबोधन में जस्टिस जोसफ ने कहा कि उत्तराखंड मेरा दूसरा घर है। वह दिल्ली में उत्तराखंड के हितों की रक्षा करेंगे। उन्होंने उत्राखंड के लोगों व उत्तराखंड की खूब प्रशंसा की। साथ ही अधिवक्ताओं से कहा कि कोर्ट में पूरी तैयारी के साथ जाएं। बेहतर न्याय व्यवस्था के लिए बार और बैंच में सामंजस्य होना चाहिए। उन्हें कार्यकाल में पूरा सहयोग मिला, जिसे वह सदैव याद रखेंगे। नैनीताल हाई कोर्ट के पांच मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। कोलेजियम की ओर से भेजी गई सिफारिश मंजूर करने के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसफ अब सुप्रीम कोर्ट में न्यायामूर्ति बनेंगे। जोसफ से पहले जस्टिस एसएच कपाडिघ्या उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जबकि उत्तराखंड कोर्ट के जस्टिस वीएस सिरपुरकर, जस्टिस सीरियक जोसफ, जस्टिस पीसी पंत, जस्टिस जेएस खेहर भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं।

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