शंकराचार्य माधव आश्रम मंदिर के शिवलिंग में दरारें आ गई : सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल,

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जोशीमठ। जोशीमठ का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने एक जनहित याचिका दायर की है। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जोशीमठ में हो रहे भू.धंसाव पर चिंता जाहिर की है। पीआईएल में आदि गुरु शंकराचार्य के ज्योतिर्मठ के भी भूधंसाव की चपेट में आने का जिक्र किया गया है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रदेश सरकार से भू.धंसाव से प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करने की मांग की है। उधर ज्योतिर्मठ परिसर के बाद अब शंकराचार्य माधव आश्रम मंदिर के शिवलिंग में दरारें आ गई हैं। परिसर के भवनोंए लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी.बड़ी दरारें पड़ गई हैं। मठ के प्रवेश द्वारए लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में दरारें आई हैं। इसी परिसर में टोटकाचार्य गुफाए त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की गद्दी स्थल है। जोशीमठ के सिंह धार वार्ड में भूधंसाव बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार शाम सिंहधार में कुलदेवता का मंदिर भी धराशायी हो गया। इससे लोगों में दहशत बढ़ गयी है। इस वार्ड में 56 मकानों में दरारें प्रशासन ने चिहिन्त की हैं। वहीं ज्योतिर्मठ परिसर के बाद अब शंकराचार्य माधव आश्रम मंदिर के शिवलिंग में दरारें आ गई हैं। परिसर के भवनों, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि मठ के प्रवेश द्वार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में दरारें आई हैं। इसी परिसर में टोटकाचार्य गुफा, त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की गद्दी स्थल है। भू धंसाव के कारण ज्योर्तिमठ और भगवान बदरीनाथ के शीतकालीन प्रवास स्थल को भारी नुकसान पहुंचा है। वहीं ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरा नंद सरस्वती ने आरोप लगाया सरकारों की अदूरदर्शिता और अनियोजित विकास कार्यों ने सनातन धर्म के शिखर स्थलों सहित पौराणिक नगरी जोशीमठ ;ज्योर्तिमठद्ध के लाखों नागरिकों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से लगातार क्षेत्र में जमीन धंसने की शिकायतें मिल रही थी, लेकिन उन पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा सबके सामने है।

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