हरीश रावत मुर्दाबाद के नारे लगवाने पर भड़के समर्थक

लोकसभा क्षेत्र पर्यवेक्षक महेंद्र पाल सिंह ने की रायशुमारी

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देहरादून/रुड़की। लोकसभा चुनाव में पत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस में जबरदस्त घमासान शुरू हो गया है। हरिद्वार लोकसभा सीट से प्रत्याशी चयन के लिए रायशुमारी करने आए पर्यवेक्षकों के सामने ही हरीश रावत व डा. संजय पालीवाल समर्थक भिड़ गए। बताया जा रहा है कि दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट हुई और वरिष्ठ नेताओ के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों को किसी तरह शांत कराया। वहीं दूसरी तरफ रायशुमारी के लिए रुड़की पहुंचे पर्यवेक्षक पूर्व सांसद महेंद्र पाल सिंह ने कुल सौ कार्यकर्ताओं से हरिद्वार लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को लेकर उनकी राय जानी।कांग्रेस ने लोकसभा में प्रत्याशी चयन के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। हरिद्वार लोकसभा सीट की जिम्मेदारी पूर्व सांसद महेंद्र पाल को सौंपी है। महेंद्र पाल ने यहां जिला पंचायत गेस्ट हाउस पहुंचकर कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की। वह बंद कमरे में कुछ कार्यकर्ताओं को बुलाकर रायशुमारी कर ही रहे थे। इस बीच कमरे के बाहर एकत्र कांग्रेस कार्यकर्ता आपस भिड़ गए, जिनमें कुछ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पक्ष में तो कुछ पूर्व दर्जा मंत्री डा. संजय पालीवाल के नेतृत्व में नारेबाजी करने लगे। इस दौरान पालीवाल के कुछ समर्थकों ने वहां खड़े रावत समर्थकों से कहा कि वह हरीश रावत मुर्दाबाद बोलो जिंदाबाद नहीं। यह सुनकर रावत समर्थक भड़क गए। मामला धक्का-मुक्की और फिर मारपीट में बदल गया। दस मिनट तक दोनों पक्षों के लोगों में जमकर एक दूसरे पर घूंसे और थप्पड़ बरसाए। कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मामला शांत कराया। इस दौरान डा. संजय पालीवाल ने भी अपने समर्थकों से शांत होने का इशारा किया, तब मामला शांत हुआ। इससे पूर्व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से राय जानी गई। हरिद्वार में हरीश व अंबरीष के समर्थको ने पर्यवेक्षक के सामने की नारेबाजी:-लोकसभा टिकट की दावेदारी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व अंबरीष कुमार के समर्थक पर्यवेक्षक पूर्व सांसद महेंद्रपाल के सामने ही भिड़ गए। समर्थकों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। पूर्व सांसद महेंद्रपाल ने ज्वालापुर स्थित मालवीय धाम में बैठक में कहा कि कार्यकर्ताओं की राय के अनुसार प्रत्याशी का चयन किया जाएगा। एडवोकेट चैधरी हनीफ, विशाल राठौर आदि ने समर्थकों के साथ पहुंचकर हरीश रावत को प्रत्याशी बनाने की मांग की। दूसरी ओर अंकित चैहान, शहाबुद्दीन अंसारी, अज्जू खान आदि ने पूर्व विधायक अंबरीष कुमार को प्रत्याशी बनाने की मांग की। वही जिपं उपाध्यक्ष राव आफाक अली ने ज्ञापन देकर हरीश रावत को प्रत्याशी बनाने की मांग की।
हरिद्वार या नैनीताल आखिर कहां जायेंगे हरीश?
देहरादून। उत्तरखंड के पूर्व व वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत एक बार फिर सुर्खियों में आ गये है। गत दिवस हरिद्वार लोकसभा सीट पर पर्यवेक्षक महेंद्र पाल सिंह के समक्ष दावेदारों के नामों को लेकर रायशुमारी की गई। इस बीच हरीश रावत के समर्थकों और स्थानीय नेताओं के बीच उपजे विवाद को लेकर चर्चायें तेज हो गई है। हरीश समर्थकों का आरोप है कि कुछ लोग मर्यादायें तोड़ रहे हैं और यह हरीश रावत की दावेदारी को प्रभावित करने का प्रयास हो सकता है। हांलाकि अब तक हरीश रावत ने अपने पत्ते नहीं खोले है। हांलाकि बकौल हरदा कई बार लोकसभा का चुनाव लड़ने की बात को स्वीकार तो कर चुके है मगर हरिद्वार या फिर नैनीताल लोकसभा सीट पर उनका अधिक फोकस रहा है। भले ही रावत यह कहे कि राहुल के निर्देश पर चुनाव लड़ेंगे मगर उत्तराखंड में वह कहां से चुनाव लड़ेंगे यह फैसला उन्हें स्वयं ही करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 के विस चुनाव में हरीश रावत दो दो विधानसभा सीटों जिसमें हरिद्वार ग्रामीण व किच्छा विस से चुनाव लड़ चुके है। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बनने से रोकने के लिये भले ही तब हरदा का यह डबल अटैक करने का प्रयास विफल रहा हो मगर इस बार भी हरीश रावत के इरादे फिर उसी दिशा की ओर बनते दिख रहे है। सोशल मीडिया में तो चर्चाय यहां तक होने लगी है कि हरीश इस बार भी दो सीटों से चुनावी ताल ठोक देंगे। हरीश अपने गृहक्षेत्र कुमाऊं की सीट को भी तबज्जों देते रहे हैं हांलाकि नैनीताल सीट से मौजूदा हालात पर नजर डाले तों हरदा के मुकाबले नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा का अधिक प्रभाव रहता है। जबकि निकाय चुनाव में मेयर की सीट गंवाने के बाद इंदिरा के इरादे भी हल्के पड़ गये है। हांलाकि कई बड़े नेताओं के साथ ही कई युवा नेताओं ने भी दावेदारी के लिये आवेदन किया है। जबकि कांग्रेस में दोवेदारों को ही पर्यवेक्षक बनाने के पीछे अब यही माना जा रहा है कि अगर किसी नये चेहरे पर दावं नहीं खेला गया तो फिर इस बार डा. इंदिरा या फिर हरीश रावत को ही पहाड़ और मैदान की सियासी जमीन पर चुनावी रण में उतारा जा सकता है। गौर हो कि हरीश रावत और डा. इंदिरा के बीच सियासी खींचतान को लेकर कई बार हाईकमान भी निर्देश दे चुका है। लिहाजा अब लोकसभा प्रत्याशियों के चयन को लेकर भी पारदर्शिता से रणनीति बनायी गई है। इस बार प्रत्याशी चयन के लिये कार्यकर्ताओं से भी राय ली जा रही है। हांलाकि दावेदारों के समर्थकों द्वारा अपने अपने करीबी नेता का नाम उछाला जा रहा है। यह दीगर बात है कि उम्मीदावारों के नाम को लेकर आखरी निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व को ही लेना है। वहीं हरीश रावत के चुनाव लड़ने को लेकर भी चर्चायें तेज हो गई हैै कि आखिर हरीश रावत नैनीताल जायेंगे या फिर अपनी परम्परागत हरिद्वार सीट से चुनावी ताल ठोकते है।

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