उत्तराखंड में भी हो सकता है ‘अहमदाबाद जैसा हादसा’ : अब तक यात्रा क्षेत्र में हो चुकी हैं चार हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं
ऋषिकेश/ रुद्रप्रयाग। चार धाम यात्रा पर उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं को केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाली हेली कंपनियां, अधिक लाभ कमाने के फेर में सुरक्षा मनको की अनदेखी कर यात्रियों को लगातार खतरे में डाल रही हैं।अगर समय रहते जिम्मेदार न जागे तो उत्तराखंड में भी अहमदाबाद जैसे हादसे की पुनरावृति हो सकती है। हेली कंपनियों की मनमानी पर जिम्मेदारों की अब तक चली आ रही चुप्पी बेहद आश्चर्यजनक है।चालू सीजन में चार धाम यात्रा आरंभ होने से अब तक यात्रा क्षेत्र में चार हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इन दुर्घटनाओं में दौरान छह लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। बावजूद इसके सरकारी सिस्टम हेली कंपनियों द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी और अन्य सुरक्षात्मक उपायों को लेकर उदासीन बना हुआ है। याद दिलाना होगा कि पिछले महीने की 8 तारीख को उत्तरकाशी के गंगनानी के समीप एक सात सीटर चार्टर्ड हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें पायलट रोबिन सहित छह लोगों की मौत हो गई थी,वहीं 12 मई को बदरीनाथ हेलिपैड पर थंबी एविएशन का हेलिकॉप्टर रपट गया था। इसमें पायलट सहित छह लोग सवार थे।शुक्र है कि हेलिकॉप्टर ने उस समय उड़ान नहीं भरी थी। इस घटना चंद दिन बाद ही केदारनाथ में हेली एंबुलेंस की टेल रोटर टूटने की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी। गनीमत है कि इस दौरान पायलट सहित सभी तीन लोग सुरक्षित रहे। केदारनाथ हाल ही में केस्ट्रल कंपनी के एक हेलीकॉप्टर को अचानक सिरसी बडासू में सड़क पर ही लैंड करना पड़ा था यह। जिस समय हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी, सौभाग्यवश उस समय कोई वाहन वहां से नहीं गुजर रहा था।हालांकि, सड़क पर लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर की रोटर टेल सड़क किनारे खड़े एक वाहन से टकरा गई, लेकिन हेलीकॉप्टर में सवार सभी लोग बाल बाल बचने में सफल रहे।इन हादसों का तकनीकी कारण जो भी रहा हो, पर लेकिन जिस तरह से पहाड़ की संकरी घाटियों में हेलिकॉप्टर धड़ल्ले से उड़ान भर रहे हैं, उससे निरंतर दुर्घटना का खतरा बना रहता है।पहाड़ी क्षेत्र में पल-पल बदलते मौसम, ऊंची पहाड़ियां, सघन वन क्षेत्र और संकरी घाटियों के बीच हेलिकॉप्टरों की सुरक्षित उड़ान के लिए नागरिक उîóयन विभाग ने कोई विशेष प्रयास नहीं किए हैं। यहां तक कि संवेदनशील केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में भी हेलिकॉप्टर की सुरक्षित उड़ान के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। गौर तलब है कि पर्यावरण की दृष्टि से अति संवेदनशील केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर 11 हजार फीट ऊंचाई पर एक संकरी घाटी से उड़ान भरते हैं।पिछले 12 सालों में इस घाटी क्षेत्र में 10 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें तकरीबन 30 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। बावजूद इसके इस बार यहां एयर ट्रैफिक इतना ज्यादा है कि औसतन हर ढाई मिनट में एक हेलीकॉप्टर गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी से उड़ान भर रहा है। ज्ञात हो कि यात्रा को सर्व सुलभ और सरल बनाने के लिए वर्ष 2004 में अगस्तमुनि से हेली सेवा की शुरुआत की गई थी। वर्ष 2012 तक चार हेली कंपनियां सेवाएं देती थी। अब इनकी संख्या नौ हो चुकी है। इतने अधिक एयर ट्रैफिक के बावजूद उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी ;यूकाड़ाद्ध ने इस क्षेत्र में कोई एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर नहीं लगाया है और ना ही हवा का दबाव और दिशा बताने वाला कोई सिस्टम विकसित किया है। कहने की जरूरत नहीं की ऐसी खामियों के चलते किसी दिन देवभूमि में भी अहमदाबाद जैसी कोई हृदयविदारक खबर सामने आ सकती है।
हेली कंपनियों को मुख्यमंत्री धामी की चेतावनी
देहरादून। राज्य में सामने आ रही हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ने रुख अब बेहद सख्त हो चला है। सीएम धामी ने उत्तराखंड में सेवाएं दे रही सभी हेली सेवा प्रदाताओं और ऑपरेटरों को कड़ी चेतावनी दी है। सीएम ने कहा कि हेली सेवा लेने वाले यात्रियों की अधिक संख्या को लेकर अत्यधिक उत्साहित और हड़बड़ी ना करते हुए सुरक्षा मानकों पर विशेष ध्यान देना होगा। उत्तराखंड में सेवाएं दे रहे सभी हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाताओं और ऑपरेटरों, यूसीएडीए, एएआईबी और डीजीसीए के साथ सीएमआवास में राज्य की हेली सेवा सेवाओं की समीक्षा करते हुए सीएम ने स्पष्ट किया कि, हेली सेवाओं के सुरक्षा मानकों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए।