विभूति में जो कुछ उनके वह कुबेर घर माल नहीं, दीन के ऊपर दया करें कोई ऐसा दीनदयाल नहीं
गतांक से आगे---------उनकी व्याकुलता को देखकर महाराज जनक बोले- ‘‘आप क्यों घबरा रहे हैं? आप तो अमर है। लेकिन हमारा शरीर अवश्य जलेगा।’’ इस पर भी जब श्री शुकदेव…
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