उत्तराखंड में अब ‘तीन बच्चों वाले’ भी लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव,संशोधित नियम की अधिसूचना जारी
देहरादून। सूबे में इन दिनों पंचायत चुनाव की सरगर्मियां चरम पर है। बीते रोज जहां नैनीताल उच्च न्यायालय ने आगामी पंचायत चुनाव से संबंधित जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 20 मई को पंचायत चुनाव का संपूर्ण निर्वाचन कार्यक्रम न्यायालय की समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं, वहीं राज्य सरकार ने उत्तराखंड वासियों को एक नई सौगात देते हुए पंचायती राज चुनाव से जुड़े तीन बच्चों वाले नियम को संशोधित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में पंचायत चुनाव से पहले तीन बच्चों वाले लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध वर्ष 2019 से पहले होने वाले बच्चों के माता-पिता पर भी लागू था और वर्ष 2019 के बाद होने वाले बच्चों के माता-पिता पर भी ।इस प्रतिबंध को लेकर प्रदेश में विरोध के व्यापक स्वर भी सामने आए थे ,क्योंकि बड़े अरमानों के साथ लंबे समय से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे लोगों की इच्छा पर इस नियम के चलते पानी फिर गया था और ऐसे लोगों को बाहर से ही अपने उम्मीदवारों को समर्थन देकर चुनाव लड़ना पड़ा था। इस नियम के शिकार होने वाले सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों की नाराजगी कई स्तर पर देखने को मिली थी और उन्होंने पार्टी के भीतर और पार्टी के बाहर के चौनलों से अपनी बात सरकार तक निरंतर पहुंचाई थी। परिणाम स्वरूप अब करीब 6 साल बाद जाकर सरकार ने इस नियम में लोगों को बड़ी राहत दी है ।बताना होगा कि ताजा संशोधन के बाद अब यह नियम केवल 25 जुलाई 2019 के बाद पैदा हुए बच्चों के माता-पिता पर ही लागू होगा ।उससे पहले पैदा हुए बच्चों के मां-बाप पर नहीं। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे मां-बाप जिनका तीसरा बच्चा 25 जुलाई 2019 से पहले जन्मा है ,वह आगामी पंचायत चुनाव में भाग लेने के अधिकारी होंगे और उन्हें तीसरे बच्चे के जन्म के आधार पर पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि इस नए संशोधन के संबंध में प्रदेश सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिसकी अधिसूचना बीते रोज जारी कर दी गई है। बात नैनीताल उच्च न्यायालय में निवर्तमान ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों को ही प्रशासक नियुक्त करने और चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर कई याचिकाओं और जनहित याचिकाओं पर हुई सुनवाई की करें तो,याचिकाओं की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि पंचायतों के चुनाव कब तक कराए जा सकते हैं? पंचायत चुनाव कराने का अगर कोई कार्यक्रम सरकार ने तैयार कर रखा है ,तो मंगलवार 20 मई को अपना समूचा प्लान पेश करें। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को भी जारी रखी है। हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि, जब पंचायतों का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है तो प्रशासक नियुक्त करने का सवाल नहीं हो सकता। यह एक संविधानिक प्रक्रिया है। उसी के अनुरूप चुनाव कराए जाने चाहिए। इसलिए राज्य सरकार अपने दायित्वों से मुकर नहीं सकती। इसलिए चुनाव का प्रोग्राम कोर्ट में पेश करें। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया कि उनकी चुनाव कराने संबंधी पूरी प्रक्रिया तैयार है और उन्होंने पूरा प्रोग्राम सरकार को भेज भी दिया है। अब सरकार को उसपर निर्णय लेना है कि कहां आरक्षण देना है और कहां नहीं। ज्ञात हो कि पूर्व ग्राम प्रधान विजय तिवारी सहित अन्य कई लोगों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि पहले राज्य सरकार ने जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया। अब सरकार ने ग्राम पंचायतों का चुनाव कराने के बजाय निवर्तमान ग्राम प्रधानों को भी प्रशासक नियुक्त करके उन्हें वित्तीय अधिकार दे दिए हैं। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हुए काफी वक्त बीत चुका है,लेकिन सरकार ने अभी तक चुनाव नहीं कराया है। ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियुक्त करने पर ये होने वाले चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए ग्राम पंचायतों का शीघ्र चुनाव कराया जाए। याचिकाकर्ताओं की तरफ से यह भी कहा गया कि, सर्वाेच्च न्यायालय के कई निर्णय ऐसे हैं, जिनमें कहा गया है कि प्रशासक तभी नियुक्त किया जा सकता है, जबकि ग्राम सभा को किन्हीं कारणों से भंग कर दिया गया हो। भंग करने के बाद भी वहां 6 माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। 6 माह से अधिक प्रशासकों का कार्यकाल नहीं हो सकता। यहां तो इसका उल्टा हो रहा है। निर्वाचित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। अब सरकार निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियुक्त कर रही है। इससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार अभी चुनाव कराने की स्थिति में नहीं है। जबकि अभी वोटर लिस्ट और आरक्षण तय करने संबंधी कई कार्य चुनाव आयोग को करने होंगे। इसलिए ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त न करके ग्राम पंचायतों का चुनाव भी शीघ्र कराया जाए।