पुलिस कर्मियों में बढ़ रहे मानसिक तनाव पर दायर जनहित याचिका पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने लिया संज्ञान
नैनीताल । उत्तराखंड में पुलिस जवान 24॰7 घंटे की ड्यूटी लगातार करते हैं। पुलिस कर्मियों को पर्याप्त आराम ना मिल पाने के कारण उनमें मानसिक तनाव की समस्या तो लगातार बढ़ ही रही है ,साथ ही उन्हें स्वास्थ्य संबंधी अनेक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली और उसके कारण पुलिस जवानों को होने वाले तनाव को लेकर नैनीताल उच्च न्यायालय में अजय नारायण शर्मा द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई थी। बीते रोज उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने उपरोक्त जनहित याचिका पर संज्ञान लिया और राज्य सरकार को अपना शपथ पत्र पेश करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई हेतु चार सप्ताह बाद की तिथि नियत की है। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि जनहित याचिका में पुलिस की भलाई के लिए कई तरह की मांग की गई हैं, जो मांग की गई है, वह उनके सर्विस से जुड़ा हुआ मसला है। इसीलिए इसमें जनहित याचिका नहीं हो सकती है। सरकार के इस तर्क का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि पुलिस का एक जवान 24.7 काम करता है, परंतु उसके बाद भी राज्य सरकार पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए न तो उनकी हौसला अफजाई करती और न ही उन्हें सम्मानित करती है। याचिकाकर्ता द्वारा जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि शहरों में शांति व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस के हर जवान की अग्रिम भूमिका है। अगर तय समय के भीतर उन्हें राज्य सरकार के द्वारा जारी नियमों के तहत वेतन, एसीपी, स्वास्थ्य लाभ, प्रमोशन आदि नहीं दिया गया ,तो उनका मनोबल गिर जाएगा। तय समय पर उन्हें ये सुविधाएं दी जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से यह भी कहा गया कि एक पुलिस वाला कभी चौन की नींद नहीं सो सकता। उसकी ड्यूटी कभी भी कहीं भी लग सकती है। उसका मोबाइल हमेशा अलर्ट मोड़ पर रहता है। इसलिए उन्हें भी ड्यूटी के लिए मानवीय परिस्थितियों प्रदान की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस जनहित याचिका की सुनवाई इसके पूर्व अजय मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ द्वारा की गई में थी। तब याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि राज्य में पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली बेहद खराब है और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी इसमें सुधार नहीं हुआ है।