पांच दिनों से सुरंग में बंद मजदूरों का टूट रहा सब्र,हमें कब बाहर निकालोगे ?
मजदूरों को खाने के लिए पाईप से प्रत्येक दो घंटे के अंतराल पर मुरमुरे, भुने व भीगे चने, पॉपकॉर्न, बादाम, काजू दिए जा रहे
उत्तरकाशी। पिछले पांच दिनों से सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों का सब्र अब जवाब दे रहा है। वह बोल रहे हैं कि हमें कब बाहर निकालोगे। सुरंग में वेल्डिंग का काम कर रहे एमडी रिजवान ने यह जानकारी दी। उन्होंने सभी को आश्वस्त किया है कि रेस्क्यू के लिए पाइप डालने का काम कर रहे हैं। जब पाइप पड़ जाएंगे तो सभी को बाहर निकाल लिया जाएगा। एमडी रिजवान उन लोगों में से एक हैं जो सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रिजवान ने बताया कि वह बीते बुधवार सुबह आठ बजे सुरंग में काम करने के लिए अंदर गए थे। चौबीस घंटे काम कर वह बृहस्पतिवार सुबह बाहर आए। उन्होंने बताया कि जो भी मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हैं, वह यह पूछ रहे हैं कि हमें कब बाहर निकालोगे। कहा कि वह अपने साथियों को बाहर निकालने के लिए पूरे जी-जान से जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि ऑगर मशीन ने काम करना शुरू कर दिया है। इस मशीन से ड्रिलिंग कर पाइपों को अंदर डाला जा रहा है। उम्मीद है कि अंदर फंसे सभी मजदूर जल्द बाहर निकल जाएंगे। सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने संभाल लिया है। सुरंग के मुहाने पर की गई बैरिकेडिंग पर पहले उत्तराखंड पुलिस व एसडीआरएफ के जवान तैनात थे। जिन्हें अब सुरंग से करीब 150 मीटर दूर बैरिकेडिंग पर लगाया गया है। वहीं सुरंग से लगी मुख्य बैरिकेडिंग पर आईटीबीपी ने मोर्चा संभाल लिया है। जो बिना पास के किसी को भी सुरंग में प्रवेश करने नहीं दे रहे हैं। मीडिया कर्मियों के लिए भी 150 मीटर दूर अस्थायी मीडिया गैलरी तैयार की गई है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों तक खाने की आपूर्ति के लिए 125 एमएम व्यास के 11 पाइप डाले जा रहे हैं। जिससे उन तक ज्यादा मात्रा में खाद्य सामग्री पहुंचाई जा सके। पूर्व में खाद्य सामग्री 80 एमएम व्यास के पाइप से भेजी जा रही थी। बुधवार तड़के खाद्य सामग्री भेजने के लिए ज्यादा व्यास के पाइप डालने का काम शुरू किया गया। यहां 125 एमएम व्यास के 11 पाइप डाले जाने हैं। बता दें कि यहां फंसे मजदूरों को खाने के लिए प्रत्येक दो घंटे के अंतराल पर मुरमुरे, भुने व भीगे चने, पॉपकॉर्न, बादाम, काजू आदि दिए जा रहे हैं।