साईकिल यात्रा से पर्यावरण और जल संरक्षण का संदेश

हल्द्वानी से दिल्ली नौ दिवसीय साईकिल यात्रा अभियान पर निकले सर्राफा व्यवसायी दिगम्बर वर्मा

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हल्द्वानी। ‘‘सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहां, जिन्दगानी भी रही तो यह जवानी फिर कहां’’। जवानी के जुनून में लोग क्या नहीं करते। कुछ लोग सिर्फ शौक तक सीमित रहते हैं लेकिन कुछ लोग शौक को भी सेवा में बदलकर समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं ग्रीन सिटी सर्राफा एवं स्वर्णकार एसोसिएशन के कुमांऊ मण्डल महामंत्री एवं प्रांतीय उद्योग व्यापार मण्डल के पूर्व अध्यक्ष दिवगम्बर वर्मा। जिन्होंने पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए जनचेतना जागृति अभियान का बीड़ा उठाया है। इस अभियान के तहत दिगम्बर वर्मा हल्द्वानी से दिल्ली के लिए नौ दिन की साईकिल यात्रा पर निकले हैं। एक हजार किमी की इस यात्रा के तहत दिगंबर वर्मा हल्द्वानी से कालाढूंगी, बाजपुर, मुरादाबाद, गजरौला, गाजियाबाद होते हुए दिल्ली पहुंचेंगे और 6 अप्रैल को वापस हल्द्वानी पहुंचेंगे। 27 मार्च 2019 को सायं 7 बजे पटेल चैक से दिगम्बर वर्मा को प्रांतीय व्यापार मण्डल प्रदेश महामंत्री नवीन चंद वर्मा, रघुवीर सिंह कालाकोटी, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रमोद गोयल, समाजसेवी मोहन सिंह बोरा, व्यापार मण्डल नगर अध्यक्ष योगेश शर्मा ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। साईकिल यात्रा पर निकले दिगम्बर वर्मा का कहना है कि सैर करना अपने आप में महत्वपूर्ण है लेकिन इस सैर में जन जागरूकता की दृष्टि से यदि व्यापक उद्देश्यों को जोड़ दिया जाये तो इसकी सार्थकता कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि प्रकृति को करीब से देखने का रोमांच तब दुगना हो जाता है जब साईकिल से यात्रा की जाये इसी लिए उन्होने रूचि और स्वभाव के अनकूल साईकिल द्वारा रोमांचक यात्रा का मार्ग चुना है। इस यात्रा में साक्षरता, पर्यावरण, वृक्षारोपण, जल संरक्षण, पर्यटन, युवा कल्याण जैसे मुद्दों के प्रति लोगों में अलख जगाने की कोशिश कर रहे हैं। वर्मा ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके इस अभियान से लोग इन ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन-मनन करेंगे और अपना हरसंभव योगदान भी देंगे। श्री वर्मा का कहना है कि मनुष्य ने अपनी भौतिक सुख सुविधाओं के लिए प्रकृति का इतना दोहन किया है कि इस समूचे विश्व का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। कटते जंगल, प्रदूषित जल, गहराती गंदगी हवा और अनेक बिमारियां पर्यावरण प्रदूषण के ज्वलंत उदाहरण हैं। आज गरीबी और बेरोजगारी से भी अधिक भयावह समस्या प्रदूषण की है। क्योकि यदि जीवन होगा तो गरीबी और बेकारी से संघर्ष किया जा सकता है। इसलिए हम सभी का यह दायित्व है कि हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कुछ न कुछ उपाय करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षों की कटाई रोकें, गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों को अपनायें। उन्होंने कहा कि अंधाधुंध जल दोहन के कारण भूजल स्तर नीचे जा रहा है। बारिश के बहते नदी नालों का पानी समुद्र में मिलकर व्यर्थ हो रहा है। जल संकट से उबरने के लिए युद्धस्तर पर जल संरक्षण एवं संवर्धन बड़ी जरूरत है। वर्षा के जल को हर संभव रोकें। नालों पर बांध बनाकर जल संग्रहण करें, पक्के घरों की छतों के जल को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से संग्रहीत करें। पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए पर्यटन को बढ़ावा देना होगा। छोटे छोटे उद्योग और फैक्ट्रियां लगाकर पलायन रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोजना के कार्यों में साईकिल का उपयोग कर हम न सिर्फ पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं बल्कि अपने स्वास्थ को भी बेहतर बना सकते हैं।
साईकिल चलाकर घटाया 16 किलो वजन
हल्द्वानी। दिगम्बर वर्मा ने बताया कि साईकिल चलाने से कई रोगों से निजात पायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि साईकिल चलाने के फायदे उन्होंने खुद अनुभव किये हैं। दिगम्बर वर्मा के मुताबिक साईकिल चलाने से बुढ़ापे में याददाश्त ताजा रहती है। साईकिल चलाने से मस्तिष्क की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है और रक्तचाप पीड़ित व्यक्ति भी रक्तचाप से छुटकारा पा सकता है। साईकिल चलाने से घुटनों कें दर्द (आस्ट्रियो आर्थोराइटिस) से निजात पाई जा सकती है। प्रातः साईकिल चलाने से पाचन क्रिया भी सही रहती है। श्री वर्मा ने कहा कि वे स्वयं इन चीजों से चार साल पहले से पीड़ित थे और उनका वचन चार साल पहले 94 किलो था जो आज 78 किग्रा हो गया है। पहले उनकी शुगर 248 से 380 हो गयी थी जो कि बिना दवाई खाकर खत्म हो चुकी है और चार साल पहले उनके घुटनों में दर्द होने के कारण डाक्टर ने दवाई दी और साथ ही सलाह दी कि अब तुम सीढियों में चलना बंद कर दो। तब उन्होंने चार वर्ष पूर्व सोचा क्यों न साईकिल चलाई जाये ओर साईकिल चलाना शुरू कर दी। साईकिल चलाने के एक वर्ष बाद ही उन्होंने दवाई खाना बंद कर दी और साईकिल चलाने से घुटने में दर्द की बिमारी से आज पूरी तरह छुटकारा पा चुके हैं।

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