पुराने पूरे नहीं हुए,फिर भी हो रहे नये वायदे

‘बाबा’ हों या ‘भगत’ दा सबने की वादािखलाफी, गोद लिए गए गांव को ही राजस्व गांव का दर्जा नहीं दिला पाए कोश्यारी

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नरेश जोशी
रुद्रपुर। चुनाव के समय जनता से तमाम प्रकार के लुभावने वादे किए जाने की परंपरा तो वर्षों पुरानी है किंतु अब नेताओं का हाल यह हो गया है कि वह अपने वायदों से भी साफ मुकर रहे हैं देश की आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी गांव के अंतिम छोर पर बैठे मजदूर किसान आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित चल रहे हैं नेताओं के जुमलेबाजी की बात करें तो सांसद भगत सिंह कोश्यारी द्वारा गोद लिया गया खटीमा का सीमांत गांव बग्गा 54 के हालात जग जाहिर है भगत दा ने सार्वजनिक रूप से सीमांत के गांव बग्गा 54 को गोद लेने की बात कही थी भगत दा ने यह फैसला भाजपा आलाकमान व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर लिया था हैरानी की बात यह है कि भाजपा के फायर ब्रांड कहे जाने वाले नेता भगत सिंह कोश्यारी आज तक अपने इस वायदे को पूरा नहीं कर पाए यही नहीं नैनीताल उधम सिंहनगर लोकसभा के दुर्गम क्षेत्रों पर रहने वाले लोग आज भी सांसद के आने का इंतजार करते हैं किच्छा के दुर्गम गांव नजीमाबाद धोरा जलाशय के लोगों का आरोप है कि पिछले लोक सभा चुनाव के दौरान भगत सिंह कोश्यारी भाजपा के प्रत्याशी थे उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की थी कि चुनाव में जीत के बाद इस दुर्गम गांव को राजस्व गांव घोषित कर दिया जाएगा गांव तो राजस्व घोषित नहीं हुआ पर भगत दा भी कभी लौट कर नहीं आए यही हाल दो बार सांसद रहे केसी सिंह बाबा का भी है केसी बाबा ने भी तमाम प्रकार की सुविधाएं दिए जाने की बात कही थी किंतु बाबा के समर्थक और कांग्रेसी नेता आज उनके द्वारा किए गए वायदों के जवाब पर कतरा रहे हैं केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली तमाम कल्याणकारी योजनाओं का सरकार के नुमाइंदे ढोल पीटते रहते हैं किंतु जमीनी हकीकत इसके विपरीत है पूर्व की हरीश रावत सरकार ने अधिकारियों को दुर्गम गांव में जाकर समस्या सुनने और रात्रि विश्राम करने का फरमान जारी किया था पर नतीजा वही ढाक के तीन पात अधिकारी सरकार के इस आदेश का पालन दिखावे के रूप में करते थे देखा जाता था कि अधिकारी सत्ताधारी नेताओं के साथ गांव तक जाते तो थे किंतु एक स्थान पर चाय नाश्ता करने के बाद लौट कर चले आते थे अगर सरकारी आदेशों का पालन जमीन पर होता तो शायद दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले किसान और मजदूरों को वोट मांगने वाले नेताओं से शिकायत नहीं होती नेताओं द्वारा चुनाव के समय पर किए गए इन वायदों का शिकार उन लोगों को होना पड़ रहा है जो अपने दल के प्रत्याशी के लिए इन दुर्गम क्षेत्रों में जाकर वोट मांग रहे हैं सीमांत की बात करें या दुर्गम क्षेत्रों की तो आज कई छोटे-बड़े जनप्रतिनिधियों को अपने पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगने पर शर्मिंदा होना पड़ रहा है किच्छा विधानसभा की बात करें तो किच्छा के पिछड़े क्षेत्र में वोट मांगने गए विधायक राजेश शुक्ला के सामने ग्रामीण जनता ने इस बात पर बेहद नाराजगी जताई कहा कि भगत सिंह कोश्यारी ने गांव को राजस्व गांव देने की बात कही थी किंतु उन्होंने लौट कर अपना चेहरा तक नहीं दिखाया।

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