पुलिस की शह पर फल फूल रहा कच्ची शराब का कारोबार

आबकारी विभाग भी शराब माफियाओं पर नकेल कसने में नाकाम

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अनिल सागर
देहरादून/रूड़की। सहारनपुर में कच्ची शराब पीकर हुई मौतो ने आबकारी व पुलिस विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिये है। प्रदेश के जिलों में खुलेआम पुलिस की शरण में कच्ची शराब माफियाओं का बोलबाला है, ये पहला मामला नही है कि कच्ची शराब पीने से लोगो की मौत हुई। प्रदेश में कच्ची शराब के कई गढ़ ऐसे है जहां शराब माफियाओं को जमकर बोलवाला है। उत्तराखण्ड में कच्ची शराब बनाने का कारोबार चरम सीमा पर है ,बिना किसी एल्कोहोल मात्र के गुड़ से बननी वाली कच्ची शराब ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर बनती है, शराब माफिया कच्ची शराब बनाकर बड़े पैमाने पर सप्लाई करते हैं, जो कि प्रदेश के विभिन्न थानें चोकियों को पार कर डिमांड वाले स्थान पर शराब पहुंचाते है। प्रदेश की राजधानी देहरादून के ग्रामीण क्षेत्र प्रेमनगर, विकासनगर, त्यूनी में भी कच्ची शराब कारोबार चरम सीमा पर है, इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों में शराब माफिया सक्रिय है, सबसे ज्यादा कच्ची शराब का कारोबार हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर के काशीपुर, बाजपुर, सितारगंज, किच्छा, नानकमत्ता खटीमा में कच्ची शराब का धंधा जमकर फल फूल रहा है। इन शराब माफियाओं की पुलिस से पुरी सांठ गांठ रहती है, इन्ही के रहमो करम पर शराब माफिया कच्ची शराब के धंधे को खुलेआम अंजाम देते हैं। कई बार पुलिस खानापूर्ति के लिए शराब बनाने वाले मो 5ली0 या 10 ली0 में पकड़कर धारा 60 के तहत चालान करती है, जिसकी तुरंत ही जमानत भी आसानी से हो जाती है। आबकारी विभाग भी शराब के धंधे को रोक पाने में नाकाम साबित होता रहा है, मात्र खानापुर्ति के नाम पर आबकारी विभाग कुछ स्थानों पर कच्ची शराब बनाने के उपकरण जब्त करता आ रहा है, लेकिन इन शराब माफियाओं पर पूर्ण अंकुश लगा पाने पर ये विभाग भी नाकाम साबित हुंआ है। कई बार तो आबकारी विभाग की टीम को शराब माफियाओं के सामने झुककर बापस भी होना पड़ा है, ऐसे मामले भी आये है जहां आबकारी के छापे से पूर्व ही शराब बनाने वालो की सूचना मिल जाती थी और वह पहले भी शराब बनाने के उपकरण गायब कर देते थे। हरिद्वार के भगवानपुर, रूड़की में शराब पीने से हुई दर्जनों मौत कच्ची शराब के भारी मात्र में बनने की पोल खोल दी है, गांव में पुलिस प्रशासन की लापवाही से दर्जनों लोगो को जहरीली शराब का शिकार होना पड़ा। ये मौत दर्जनों में थी इसलिए मामले में शासन ने तत्परता दिखाते हुये लापरवाही में दर्जनों अधिकारियों को संस्पेंड कर दिया, लेकिन इस जहर से धीमे- धीमे मौत में कितने लोग जा रहें है, इसका अंदाजा भी सरकार व पुलिस विभाग के अधिकारियों को होना चाहिए।

शराब में चूहे मारने की दवा मिलाने के संकेत

देहरादून। रूड़की सहारनपुर में शराब पीकर हुई मौत की जांच के बाद ही ये पता चलेगा कि कच्ची शराब इतनी जहरीली कैसे बन गई, आिखर शराब में ऐसा कौन से पर्दाथ मिला था, जिसने दर्जनों लोगों की जिन्दगी लील ली, अभी पुलिस शराब बेचने वाले का खुलासा भी नही कर पाई है, या शराब को और तेज करने के लिए रैट पॉइजन का इस्तेमाल किया गया, इसके अलावा चूहे मारने की दवा मिलने के संकेत पर भी पुलिस की जांचव चल रही है पुलिस ने शराब के सेंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजा है, जिससे साफ होगा कि शराब में एल्कोहोल की मात्र कितनी थी और उसमें क्या मिलाया गया था। कच्ची शराब के जहरीली होने पर कई तरह के सवाल उठ रहें है, क्या किसी साजिश के तहत शराब में कोई जहरीला पर्दाथ मिला गया था या शराब को और तेज करने के लिए रैट पॉइजन का इस्तेमाल किया गया।

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