कॉर्बेट पार्क की बुकिंग में सामने आया फर्जीवाड़ा : केंद्रीय मंत्रालय के नाम पर कराई जा रही थी बुकिंग
रामनगर (उद संवाददाता)। विश्वविख्यात जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बुकिंग प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है,इस बार ठगों ने केंद्रीय मंत्रालय के नाम का सहारा लेकर कॉर्बेट की बुकिंग में सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन पार्क प्रशासन की सतर्कता के चलते मामला समय रहते पकड़ में आ गया। अब इस फर्जीवाड़े में शामिल सात लोगों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। पार्क प्रशासन के अनुसार 11 मई को कॉर्बेट प्रशासन को एक संदिग्ध ई-मेल प्राप्त हुआ,जिसमें केंद्रीय मंत्रालय के एक कार्यालय की ओर से 12 मई के लिए ढिकाला जोन में दो कक्षों की बुकिंग करने का अनुरोध किया गया था। ई-मेल में सरकारी तंत्र का हवाला देकर विशेष सुविधा की मांग की गई थी। पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल इसकी जांच शुरू करवाई। जब ई-मेल में दर्ज नामों और मोबाइल नंबरों को ट्रैक किया गया,तो संदिग्ध गतिविधियां सामने आईं, इन नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई स्पष्ट या संतोषजनक जवाब नहीं मिला। ई-मेल में जिन सात लोगों के नाम और डिटेल्स दिए गए थे, उनमें प्रमुख नाम दिल्ली निवासी वेद प्रकाश का है, जब अधिकारियों ने वेद प्रकाश से संपर्क किया, तो वह अपने दावों पर खरे नहीं उतर पाए,दोबारा कॉल करने पर उनका मोबाइल नंबर बंद पाया गया, जिससे मामला और संदिग्ध हो गया। कॉर्बेट पार्क के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने पुष्टि की कि प्राथमिक जांच में मामला पूरी तरह फर्जी पाया गया है,यह स्पष्ट हो चुका है कि बुकिंग कराने की यह कोशिश एक संगठित धोखाधड़ी का हिस्सा थी, जिसमें सरकारी पहचान का दुरुपयोग कर विशिष्ट सुविधा लेने की कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद सातों संदिग्धों को कॉर्बेट के ईको टूरिज्म जोन में तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रशासन अब इस फर्जीवाड़े के पीछे के नेटवर्क को उजागर करने के लिए साइबर सेल की मदद से विस्तृत जांच करवा रहा है। कॉर्बेट प्रशासन का कहना है कि यह सिर्फ एक बुकिंग फ्रॉनहीं, बल्कि सरकारी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने और नियमों को तोड़ने की गंभीर कोशिश थी,पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रें में बिना अनुमति या फर्जी पहचान से प्रवेश की कोशिश न सिर्फ कानूनन अपराध है, बल्कि यह वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। पार्क अधिकारियों ने कहा कि अब से सभी बुकिंग अनुरोधों की दोहरी जांच की जाएगी। खासकर जब उनमें किसी सरकारी विभाग या मंत्रालय का हवाला दिया गया हो । इस घटना ने एक बार फिर ईको टूरिज्म में पारदर्शिता और सुरक्षा के सवाल खड़े कर दिए हैं,जिम कॉर्बेट जैसे संरक्षित क्षेत्रें में इस तरह की घटनाएं न केवल पर्यटकों की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं, बल्कि यह दर्शाती हैं कि डिजिटल माध्यमों का गलत इस्तेमाल कर किस तरह नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। पार्क प्रशासन ने आम जनता और पर्यटकों से अपील की है कि वे किसी भी बुकिंग के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइट और अधिकृत एजेंसियों के माध्यम से ही प्रक्रिया पूरी करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें। फिलहाल, पूरे प्रकरण की गहन जांच जारी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही आरोपियों को चिन्हित कर कानूनी शिकंजे में लिया जाएगा। कॉर्बेट प्रशासन का रुख स्पष्ट है। वन्यजीवों प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बुकिंग के नाम पर फर्जीवाड़े की कोशिश हुई है। जिसके लिए शातिर ठगों ने केंद्रीय मंत्रलय के नाम का सहारा लिया और मेल भेजकर कॉर्बेट की बुकिंग में सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन पार्क प्रशासन की सतर्कता के चलते मामला समय रहते पकड़ में आ गया। अब इस फर्जीवाड़े में शामिल 7 लोगों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।